हेमंत सोरेन ने कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक की
झारखंड। झारखंड में एक बार फिर सूखे की स्थिति उत्पन्न हो रही है. कम बारिश होने के कारण राज्य के 13 जिलों में रोपा शुरू नहीं हुई है. इसको लेकर हेमंत सरकार काफी गंभीर है. सोमवार 24 जुलाई, 2023 को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के लगभग 70% से अधिक लोग खेती पर निर्भर हैं. पिछली बार भी हमारी चिंताएं ग्रामीण क्षेत्र को लेकर रही है. पिछली बार के सुखाड़ के आने वाले कुप्रभाव को लेकर हमने त्वरित राहत दी थी. इस बार भी सुखाड़ जैसी स्थिति है. इसको लेकर सरकार गंभीर है. इस मुद्दे पर गंभीरता से बात हुई है. साथ ही कहा कि किसानों के लिए हम क्या बेहतर कर सकते हैं इस पर हमने चर्चा की है. कई निर्णय भी लिए हैं. हम मौसम पर नजर बनाए हुए हैं. वहीं, विभागों को हर परिस्थिति से निपटने के लिए निर्देश भी दिये गये हैं.
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग की बैठक की अध्यक्षता की। (सोर्स: IPRD) pic.twitter.com/CxO8XLjFS6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 24, 2023
मुख्यमंत्री ने कहा किसान पाठशाला को एक विद्यालय की तरह स्थापित करें. यह सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर मूवमेंट हो सकता है. ऐसे में यहां किसानों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण और कार्यशाला का आयोजन होना चाहिए. किसानों को यहां उन्नत और बहु वैकल्पिक कृषि की जानकारी दी जाए. किसानों को किसान पाठशाला में लाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें. इतना ही नहीं किसानों को अगल-बगल के गांव, प्रखंडों और जिलों का भी भ्रमण कराया जाए, ताकि दूसरे किसानों द्वारा की जाने वाले कृषि कार्यों से भी अवगत हो सकें. उन्होंने विभाग के अधिकारियों से कहा कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी से आच्छादित करने के साथ केसीसी लोन उपलब्ध कराने की पहल करें. ऐसा देखा जा रहा है कि केसीसी लोन स्वीकृत करने में बैंक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. ऐसे में सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों से लांच कराने की दिशा में कार्य करें. सीएम ने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में कई ऐसे कृषि और वन उपज हैं, जिसकी अच्छी पैदावार होती है. लेकिन, किसानों को उसका उचित लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में इन कृषि उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के साथ उसके निर्यात की संभावनाओं को तलाशें. इसके साथ एग्रो इंडस्ट्रीज को भी बढ़ावा देने की दिशा में कार्य योजना बनाएं.
उन्होंनें कहा कि फिलहाल मौसम का जिस तरह का रुख देखने को मिल रहा है, उससे किसानों के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. ऐसे हालात में नई फसलों या फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने का एक्शन प्लान तैयार करें. किसानों को वैकल्पिक खेती करने के लिए प्रेरित करें. उन्हें इस बाबत तकनीकों की भी जानकारी दें. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को मिलेट्स, दाल और आयल सीड की खेती के लिए प्रेरित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कृषि योग्य भूमि कम हो रही है और किसान भी खेतिहर मजदूर के रुप में तब्दील होते जा रहे हैं. यह कृषि के लिए किसी भी रूप में अच्छा संकेत नहीं है. ऐसे में जो किसान खेतिहर मजदूर बनने को मजबूर हैं, उन्हें बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलाम्बर -पीताम्बर जल समृद्धि योजना जैसी योजनाओं से जोड़ें. इससे वे कृषि और उससे संबंधित कार्यों से जुड़े भी रहेंगे और उनकी आय में भी इजाफा होगा.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड से प्रदेश में किसानों के लिए पशुपालन काफी अहम है. अगर किसी वजह से पशुओं की मौत हो जाती है, तो किसान पशुपालक आर्थिक रूप से टूट जाते हैं. ऐसे में सभी पशुओं के इंश्योरेंस को सुनिश्चित करें. इसके लिए 2019 में जानवरों की हुई गणना को आधार बनाते हुए इंश्योरेंस करने की नीति बनाएं. उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन पालन में राज्य कब तक आत्मनिर्भर बन जाएगा, इसके लिए एक्शन प्लान बनाएं और उसी अनुसार योजनाओं को कार्यान्वित करें. कहा कि पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए मॉडल फार्म स्थापित करने की दिशा में ही पहल हो. इससे दुग्ध का उत्पादन बढ़ेगा और बाजार भी उपलब्ध होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लैम्प्स और पैक्स को मजबूत करने की दिशा में सरकार काम कर रही है. लेकिन, कई लैम्प्स -पैक्स के भवन काफी जर्जर हालात में हैं. इन भवनों का मरम्मत सुनिश्चित करें और इसकी उपयोगिता को किसानों तक पहुंचाएं. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में जो भी कोल्ड स्टोरेज बन रहे हैं, वहां एप्रोच रोड के साथ बिजली -पानी की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए, ताकि उसका इस्तेमाल सही तरीके से हो सके.
इस अवसर पर कृषि , पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीक, निबंधक सहयोग समितियां मृत्युंजय वर्णवाल, निदेशक कृषि चंदन कुमार, निदेशक उद्यान नेसार अहमद, निदेशक भूमि संरक्षण अजय कुमार सिंह, निदेशक मत्स्य एचएम द्विवेदी, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सिदो कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहयोग संघ संजीव कुमार, विशेष सचिव प्रदीप हजारी और अपर सचिव विधान चंद्र चौधरी मौजूद थे.