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सदन में आपदा पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष-विपक्ष में तीखी नोक-झोंक

Shantanu Roy
20 Sep 2023 9:36 AM GMT
सदन में आपदा पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष-विपक्ष में तीखी नोक-झोंक
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शिमला। राज्य में आई आपदा को लेकर हिमाचल विधानसभा में नियम 102 के तहत लाए गए संकल्प पर जारी चर्चा के दूसरे दिन पक्ष-विपक्ष में तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। इस दौरान दोनों ही पक्षों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर कटाक्ष कर खूब हो-हल्ला किया। सदन में भोजनावकाश के बाद उस समय माहौल कुछ समय के लिए गर्मा गया, जब मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान पूर्व मनमोहन सरकार ने बड़ा दिल दिखाते हुए आॢथक सहायता की थी, जबकि केंद्र सरकार ने हिमाचल की अभी तक कोई मदद नहीं की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जब त्रासदी हुई थी तो उस दौरान पूर्व यूपीएसरकार ने 4334 करोड़ रुपए की राहत राशि प्रदान की थी, जबकि नुक्सान 9000 करोड़ रुपए का हुआ था। उन्होंने कहा कि 16 मई, 2013 को त्रासदी हुई और उसके अगले दिन ही 17 मई को 1000 करोड़ रुपए जारी कर दिए। विधायक विपिन सिंह परमार ने इन आंकड़ों को तथ्यहीन बताया। इस बीच सदन में दोनों तरफ नारेबाजी शुरू हो गई।
ऐसे में जब सदन का माहौल गर्माने लगा तो विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ आरोपों-प्रत्यारोपों को सदन की कार्यवाही से बाहर भी किया। इससे पूर्व सुंदर सिंह ठाकुर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने ग्राऊंड जीरो पर जाकर काम किया है। कुल्लू में जब त्रासदी आई तो पूरी सरकार वहां पर डट गई। सीएम दिन-रात राहत कार्यों में जुटे रहे और जनता ने सब कुछ स्वयं देखा है। ऐसे में सरकार को भाजपा के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आपदा में किया गया सराहनीय कार्य विपक्ष को हजम नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार हिमाचल के साथ अन्याय कर रही है। इस दौरान सदन में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बीच भी तकरार देखने को मिली। इसी बीच सदन में मुख्यमंत्री भी पहुंच गए थे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात सही है कि आपदा को लेकर केंद्र से मदद नहीं मिल रही है। विपक्ष की तरफ से हंगामा किए जाने पर बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्ष लोकतंत्र का गला घोंट रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार के समय में भी विधायकों को बोलने नहीं दिया जाता था और अभी भी विपक्ष में रहते हुए भाजपा विधायक ऐसा ही करने की कोशिश हो कर रहे हैं।
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