धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए गाइडलाइन आई, पढ़ें बड़ी बातें
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाह के मकसद से धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि धर्म बदलने की सहमति को लेकर कुछ डॉक्यूमेंट देने होंगे। शख्स को एक हलफनामा दायर करना होगा, जिसमें कहा गया हो कि वह शादी के लिए धर्म को बदलने …
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाह के मकसद से धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि धर्म बदलने की सहमति को लेकर कुछ डॉक्यूमेंट देने होंगे। शख्स को एक हलफनामा दायर करना होगा, जिसमें कहा गया हो कि वह शादी के लिए धर्म को बदलने के फैसले के नतीजों के बारे में जानता है। अदालत ने कहा कि दूसरे धर्म को अपनाने वाले व्यक्ति की सहमति जरूरी है। साथ ही इस फैसले से जीवन पर पड़ने वाले असर के बारे में उसे जानकारी होनी चाहिए।
हाई कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण का सर्टिफिकेट धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति की स्थानीय भाषा में भी होना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि वह अपने फैसले को अच्छी तरह से समझ सके। अदालत ने कहा, 'संबंधित अधिकारियों को धर्मांतरण के बाद अंतर-धार्मिक विवाह के वक्त दोनों पक्षों की उम्र, वैवाहिक इतिहास और वैवाहिक स्थिति को लेकर हलफनामा प्राप्त होना चाहिए। हालांकि, विशेष विवाह अधिनियम के तहत होने वाली शादियों में इससे छूट होगी। इसके साथ ही एक हलफनामा इसे लेकर भी दायर किया जाना जरूरी है कि यह धर्मांतरण स्वेच्छा से हो रहा है।'
अदालत ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि विवाह और धर्मांतरण का सर्टिफिकेट स्थानीय भाषा में भी होना चाहिए। अगर धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति की ओर से बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी के अलावा दूसरी हो तो उस भाषा की ही इस्तेमाल करना होगा। हालांकि, दिल्ली एचसी ने यह भी साफ कर दिया कि अपने मूल धर्म में वापस आने वाले व्यक्ति पर यह दिशानिर्देश लागू नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि धर्म बदलने वाला शख्स अपने मूल धर्म के बारे में पहले से ही अच्छी तरह जानकारी रखता है। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण को लेकर कोई कानून या तरीका तय नहीं किया जा रहा है, मगर अदालतों को फिलहाल इसका पालन करना होगा।