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शिमला। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक एवं मंत्री मनसा राम(82) का निधन हो गया है। उन्होंने आईजीएमसी शिमला में अंतिम सांस ली। वे बीते 20 दिसंबर से आईजीएमसी में दाखिल थे। डॉक्टरों की निगरानी में उनका किडनी की बीमारी का इलाज चल रहा था। लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर ने उन्हें जनरल आईसीयू में शिफ्ट किया था। लेकिन शनिवार शाम को उनका देहांत हो गया। रविवार को पैतृक गांव में अंतिम संस्कार होगा । उधर, मनसा राम के दामाद व स्वास्थ्य निदेशालय में उपनिदेशक डॉ. रमेश चंद ने बताया कि मनसा राम 1967 में पहली मर्तबा विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने थे और 1972 में पहली बार मंत्री बने। अपने राजनीतिक जीवन में वे पूर्व में मुख्यमंत्री रहे डॉ. वाईएस परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह और प्रेमकुमार धूमल के कार्यकाल में काम कर चुके हैं। मनसा राम 25 साल की उम्र में ही विधायक बन गए थे। उनका नाम सबसे युवा विधायकों की लिस्ट में शामिल है । सुंदरनगर से दसवीं कक्षा की पढ़ाई करने के बाद वे एक अध्यापक के तौर पर शिक्षण कार्य में जुट गए लेकिन किस्मत उन्हें राजनीति में ले आई। करसोग की जनता उन्हें नेताजी के बजाय मंत्री जी के नाम से ही पुकारती थी। मनसा राम ने पहला चुनाव 1967 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर करसोग हलके से लड़ा था। उस समय मनसा राम की उम्र महज 25 वर्ष थी और सबसे कम उम्र में विधायक बने।
1972 में वे फिर करसोग से चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की। हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और मनसा राम 31 साल की आयु में मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। उन्हें वन विभाग का दायित्व मिला। तब मंडी जिले से ही ठाकुर कर्म सिंह व सुखराम भी चुनाव जीते थे, लेकिन मंत्री नहीं बने। परमार ने मनसा राम पर भरोसा जताया और उन्हें मंत्री बनाया था। अगला एक दशक उनके लिए राजनीतिक तौर पर अनुकूल नहीं रहा। वे चुनाव हार गए। 1982 में वे करसोग से एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। उन्हें 46 फीसदी से अधिक मत मिले और उन्होंने भाजपा के सुंदर सिंह को पराजित किया। मनसाराम हिमाचल में परमार से लेकर धूमल तक के कार्यकाल में मंत्री रहे बने। वह जमीन से जुड़े नेता थे और क्षेत्र के लोगों के साथ उनका संपर्क रहता था। आम लोगों से यही जुड़ाव उन्हें राजनीति में सफल बनाता गया। जब रामलाल ठाकुर मुख्यमंत्री बने और मनसा राम मंत्री बने। उनके पास समाज कल्याण विभाग रहा। इसके बाद एक बार फिर हार का सिलसिला चला और मनसा राम को अगला चुनाव जीतने के लिए 11 साल का इंतजार करना पड़ा। वर्ष 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते और खाद्य आपूर्ति मंत्री बने। इसके बाद 2012 में मनसा राम सीपीएस बने। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री मनसा राम के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मनसा राम ने लंबे समय तक प्रदेश की सेवा की और अपने क्षेत्र के विकास के लिए भी उल्लेखनीय योगदान दिया। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के साथ गहरी संवेदनाएं प्रकट की हैं।
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