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किसान फिर से 14 दिसंबर को करेंगे भारत बंद, सरकार कृषि कानून में संशोधन को तैयार

Deepa Sahu
9 Dec 2020 5:03 PM GMT
किसान फिर से 14 दिसंबर को करेंगे भारत बंद, सरकार कृषि कानून में संशोधन को तैयार
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किसान फिर से 14 दिसंबर को करेंगे भारत बंद, सरकार कृषि कानून में संशोधन को तैयार

कृषि सुधार के कानूनों को रद करने और एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनाने की मांग

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : नई दिल्ली,कृषि सुधार के कानूनों को रद करने और एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनाने की मांग पर अड़े किसानों ने सरकार के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। अपनी मांगों के माने जाने तक आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है। सरकार के संशोधन वाले प्रस्तावों और किसान मोर्चे के फैसले को लेकर बुधवार को दिनभर गहमागहमी का माहौल रहा। इस बीच किसानों के समर्थन में विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर कृषि कानूनों को रद करने की मांग की।

सरकार कानूनों में संशोधन को तैयार
सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वह कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी लेकिन वह बीच का रास्‍ता निकालने के लिए नए कृषि कानूनों में संशोधन का तैयार हो गई है। सरकार ने अपने संशोधन प्रस्ताव में जोर देकर कहा है कि केंद्र सरकार एमएसपी की मौजूदा सरकारी खरीद प्रणाली के संबंध में लिखित भरोसा देने को तैयार है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बीती रात दो घंटे की चर्चा में बनी सहमति के बाद किसान मोर्चे के नेताओं के पास सरकार ने बुधवार को दोपहर बाद संशोधन प्रस्ताव भेजा।
14 दिसंबर को देशव्‍यापी प्रदर्शन
किसान नेताओं ने कहा है कि तीनों कृषि कानून रद किए जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी वाला कानून लाया जाए। किसानों ने अपना आंदोलन तेज करते हुए दिल्ली को जाम करने का ऐलान किया है। उनके घोषित कार्यक्रम में दिल्ली को जोड़ने वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्गों दिल्ली से जयपुर, दिल्ली से आगरा और दिल्ली से लखनऊ की ओर जाने वाली सड़कें रोक दी जाएंगी। टोल प्लाजा खोल दिए जाएंगे। किसानों ने 14 दिसंबर को देशभर में जिला और प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। भाजपा के नेताओं और उनके कार्यालयों का घेराव किया जाएगा।
कृषि कानूनों को खत्‍म करने की मांग
प्रस्ताव में कहा गया था कि किसानों से उपज की खरीद करने वाले निजी व्यापारियों के लिए पंजीकरण का प्रावधान होगा। हालांकि किसान नेता तीनों नए कृषि कानूनों को खत्‍म करने की मांग कर रहे हैं। इस मसले पर सरकार ने प्रस्‍ताव में कहा है कि वह उन कानूनों के प्रावधानों पर संशोधन के लिए विचार करने को तैयार है जिन पर किसानों की आपत्तियां हैं।
व्यापारियों के पंजीकरण पर प्रस्‍ताव
मंडी समितियों की ओर से स्थापित मंडियों के कमजोर होने और किसानों के निजी मंडियों के चंगुल में फंसने के मसले के समाधान के लिए भी सरकार ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि राज्य सरकार निजी मंडियों में भी रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सकती हैं। यही नहीं एपीएमसी में लागू मंडी शुल्क या उपकर निजी मंडियों पर भी तय हो सकेगा।
मंडी के बाहर फसल बेच सकेंगे
किसानों को आशंका है कि सरकार के कानूनों से मंडी समितियों की ओर से बनाई गई मंडियां कमजोर हो जाएंगी और किसान निजी मंडियों के चंगुल में फंस जाएंगे। जबकि सरकार का कहना है कि नए प्रावधान पुराने विकल्प को जारी रखते हुए किसानों को अधिक विकल्प उपलब्ध कराएंगे। किसान अब मंडी के बाहर किसी भंडारगृह से या खेत से भी फसल बेच सकेंगे।
सिविल कोर्ट जाने का दिया विकल्‍प
नए कृषि कानूनों में किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में किसानों को सिविल कोर्ट जाने का विकल्प नहीं होने को लेकर किसानों के डर को भी दूर किया गया है। सरकार ने प्रस्‍ताव में कानून में संशोधन कर किसानों को कानून में दी गई व्यवस्था के अलावा सिविल कोर्ट जाने का विकल्प दिया है।
भूमि विहीन नहीं होंगे किसान
किसानों को डर है कि उनकी जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे जिससे वह भूमि विहीन हो जाएगा। इस पर सरकार ने कहा है कि किसान की जमीन पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीददार की ओर से कोई कर्ज नहीं लिया जा सकेगा ना तो उसकी संरचना बंधक रखी जा सकेगी।
किसानों को उनकी जमीन पर दिया भरोसा
किसानों को डर है कि उनकी जमीन की कुर्की हो सकेगी। जबकि सरकार ने अपने प्रस्‍ताव में समझाया है कि कृषि करार अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसान की जमीन के विरुद्ध किसी प्रकार की वसूली या कुर्की नहीं की जा सकती है। सरकार का कहना है कि प्रावधान पहले से ही यह बात बिल्‍कुल साफ है लेकिन यदि स्पष्टीकरण की जरूरत होगी तो इसे दोबारा जारी किया जाएगा।
बिजली पराली के मसले पर भी राजी
सरकार ने प्रस्‍ताव में पराली जलाने से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड के प्रावधान पर भी विचार करने का भरोसा दिया है। सरकार का कहना है कि पराली जलाने से संबंधित प्रावधान पर किसानों की आपत्तियों का समाधान किया जाएगा। इसके अलावा बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्‍म करने की मांग पर सरकार का कहना है कि किसानों के बिजली बिल भुगतान की मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कही यह बात
सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्‍ताव पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को उनकी फसलों का डेढ़ गुना एमएसपी देने की बात बार-बार दोहरा चुकी है। एमएसपी पर फसलों की खरीद पूर्ववत जारी रहेगी और अभी भी इस मसले पर सरकार का रुख बरकरार है। हम एमएसपी के मसले पर किसानों को भरोसा देने को तैयार हैं।
20 फीसद ज्‍यादा धान खरीदा
सरकार ने कहा है कि उसने चालू खरीफ विपणन सत्र में पिछले साल के मुकाबले अब तक 20 फीसद ज्‍यादा धान खरीदा है। इसके लिए 66,135 करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य चुकाया गया है और कुल 350.29 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है। सरकार का कहना है कि धान खरीद का काम पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, केरल, गुजरात, आंध्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में सुचारू रूप से हुई है।
कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े किसान
वहीं किसान कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़ गए हैं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद करते हैं। हम प्रदर्शनों को तेज करेंगे... अब पूरे देश में हर रोज प्रदर्शन होंगे। आने वाले 14 दिसंबर को पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में धरने आयोजित होंगे। आगामी 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर रोक लगाया जाएगा। यही नहीं 12 तारीख को एक दिन के लिए पूरे देश के टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे...


Deepa Sahu

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