भारत

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण दिलाने की कवायद, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कदम आगे बढ़ाए

jantaserishta.com
9 Nov 2022 5:45 AM GMT
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण दिलाने की कवायद, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कदम आगे बढ़ाए
x
विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को भेजा है।
रायपुर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट द्वारा गरीब सवर्णों का दस फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दिए जाने के बाद अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग वर्गों के आरक्षण में इजाफा किए जाने की कोशिशें तेज हो गई है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ में आदिवासी वर्ग को 32 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कदम आगे बढ़ाए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को भेजा है। मुख्यमंत्री ने आगामी एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्र बघेल ने आदिवासी समाज को भरोसा दिलाया है कि राज्य में आरक्षण के मामले में वो निश्चिंत रहें। उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में आरक्षण की विधिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का दल शीघ्र वहां जाएगा। अध्ययन दल के गठन एवं इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन हमारी सरकार कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी संवैधानिक अधिकार उन्हें प्राप्त हों। आरक्षण के मामले को लेकर हमने विधानसभा अध्यक्ष महोदय से एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का भी आग्रह किया है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरियों और विभिन्न संस्थानों में प्रवेश के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, इसे बढ़ाकर सरकार ने 32 प्रतिशत किया था, जिसे न्यायालय ने रदद कर दिया था।
राज्य सरकार आदिवासियों के हित में अनेक योजनाएं चला रही है। वनवासी क्षेत्र में ग्राम सभा को शक्ति सम्पन्न बनाने के लिए कानून बनाकर लागू किया गया। लघुवनोपजों पर निर्भर वनवासियों की आर्थिक समृद्धि और उन्हें संबल बनाने के लिए सरकारी स्तर पर सात प्रकार के लघु वनोपजों की खरीदी को 65 प्रकार के लघुवनोपज तक बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा लोहाण्डीगुड़ा में उद्योग द्वारा अधिगृहीत की गई 1707 किसानों की जमीन लौटाई गई। बस्तर संभाग के जिलों में नारंगी वन क्षेत्र में से 30,439 हेक्टेयर भूमि राजस्व मद में वापस दर्ज की गई। आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ क्षेत्र के 52,500 से अधिक किसानों को मसाहती खसरा प्रदाय किया गया।
jantaserishta.com

jantaserishta.com

    Next Story