आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की अगुवाई में हुई बैठक में ये तय किया गया है कि घोषणा पत्र ज्यादा वास्तविक और व्यावहारिक हो. न कि हवा हवाई. यानी घोषणा पत्र वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, FRBM, CAG आदि की गाइड लाइन पर आधारित हो. आयोग ने आदर्श चुनाव आचार संहिता में कई जगह बदलाव किए हैं. लिहाजा धारा-3 के प्रावधान तीन और धारा-8 M में बदलाव किया है. इसके मुताबिक राजनीतिक पार्टियों को घोषणा पत्र में अपनी योजनाओं के बारे में बताने के साथ ही ये भी बताना होगा कि योजनाओं के सफल और व्यवहारिक संचालन के लिए राजस्व यानी धन कैसे आएगा? इतना ही नहीं, सरकार बनने के बाद कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष टैक्स, अतिरिक्त कर, खर्चे में कटौती, कहीं से कर्ज लेकर या फिर किसी अन्य स्रोत से धन जुटाया जाएगा, ये सब जनता को बताना होगा. यानी अब घोषणा पत्र के नाम पर जनता को भ्रमित नहीं किया जा सकता.
आयोग के मुताबिक जनता और राजनीतिक दलों के बीच इस कवायद से पारदर्शिता बढ़ेगी. राजनीतिक दल इस दिशा में गंभीरता से सोचें, तो आम वोटर को अपना मन बनाने में आसानी होगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी फ्री बी का मामला लंबित है. 2 जजों की बेंच ने इसे संविधान से जुड़े पहलू वाला मामला मानते हुए इसे बड़ी पीठ के पास विचारार्थ ले जाने की सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने खुद को पक्षकार न बनाए जाने की गुहार लगाई थी. लेकिन अब ये कदम उठाकर आयोग ने अपने सख्त इरादे जाता दिए हैं.