नई दिल्ली।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध करते हुए कहा है कि संबंधित कंपनियों का नियंत्रण जैन के हाथ में ही था. जस्टिस दिनेश शर्मा की बेंच ने सत्येंद्र जैन समेत दो सह-आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिकाओं पर अगली सुनवाई 21 मार्च को करने का आदेश दिया.
ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि 14 फरवरी 2015 से 31 मई 2017 के बीच के चेक पीरियड के पहले सत्येंद्र जैन का इन कंपनियों में पचास फीसदी हिस्सेदारी थी. बाद में जैन ने बेनामीदारों के पक्ष में अपना नाम हटा लिया और अब कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ किया ही नहीं है.
छह फरवरी को सह-आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील गुप्ता ने कहा था कि सत्येंद्र जैन का कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है. सुशील गुप्ता ने कहा था कि दोनों सह-आरोपितों ने ही कलकत्ता स्थित कंपनी को पैसे भेजे थे. 01 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था. सत्येंद्र जैन ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत न दिए जाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
17 नवंबर 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन समेत तीनों आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के अलावा इस मामले के आरोपितों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान जैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने कहा था कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग कानून की मनमानी व्याख्या कर रहा है. उन्होंने कहा था कि पैसा अंकुश जैन, वैभव जैन और दूसरे आरोपितों का है, जो कि एंट्री से साफ है. यह कर उल्लंघन का मामला हो सकता है लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि यह सत्येंद्र जैन का पैसा कैसे हो सकता है.
ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जैन ने हवाला ऑपरेटर को 40-50 बार नकदी उपलब्ध कराया. ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि जैन लगातार गलत जानकारी दे रहे थे, जो भारतीय दंड संहिता के मुताबिक अपराध है. राजू ने कहा था कि सत्येंद्र जैन, उनका परिवार और उनके करीबी लूट रहे थे. कंपनी के फर्जी निदेशक बना दिए गए थे और जैन कंपनी को पीछे से संचालित कर रहे थे. राजू ने कहा था कि ये मामला एक करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का है.
जैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने कहा था कि ईडी ने उन्हें केवल इसलिए गिरफ्तार किया है कि वे मंत्री बने हैं और उन्होंने सार्वजनिक जीवन शुरू किया है. हरिहरन ने कहा था कि जैन के खिलाफ कोई आरोप नहीं है. उनकी केवल एक गलती है कि वे एक मंत्री बने और सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की. उन्होंने कहा था कि सत्येंद्र जैन को हिरासत में रखना पूरे तरीके से न्याय के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा था कि क्या अल्प शेयरधारक किसी कंपनी को नियंत्रित कर सकता है. उन्होंने कहा कि एक डायरेक्टर किसी कंपनी का केवल एक प्रतिनिधि होता है. जिस समय का मामला है उस समय सत्येंद्र जैन कंपनी में थे भी नहीं. अगर जैन राजनीति में नहीं आए होते तो ये केस दर्ज नहीं हुआ होता.
/संजय