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कुत्ते निभाते हैं जांबाज गार्ड्स का रोल, शिकारियों और चोरों से संभाल रखी है सेंचुरी, आइए जाने इनके बारे में
jantaserishta.com
6 July 2021 12:33 PM GMT
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इनका खौफ इतना है कि कोई गलत इरादे से या बिना इजाजत के यहां आसपास फटकने की भी नहीं सोच सकता.
केरल की पेरियार वाइल्डलाइफ सेंचुरी बाघों और तेंदुओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां इन वन्यजीवों के साथ ही कीमती वन संपदा भी है. ऐसे में सेंचुरी से शिकारियों और वन संपदा के चोरों को दूर रखने की जिम्मेदारी दो जांबाज़ गार्ड्स ने संभाल रखी है.
ये गार्ड्स कोई इंसान नहीं जूली और जेनी नाम के दो कुत्ते हैं. इनका खौफ इतना है कि कोई गलत इरादे से या बिना इजाजत के यहां आसपास फटकने की भी नहीं सोच सकता.
जूली और जेनी ने पेरियार वाइल्डलाइफ सेंचुरी में गलत इरादे से घुसे कई लोगों को पकड़ने में अहम रोल निभाया है. इसलिए दोनों वन विभाग के स्टाफ से बहुत लाड दुलार पाते हैं.
चंदन की तस्करी हो या वन्यजीवों का शिकार, ऐसी कई कोशिशों को जूली और जेनी की सजगता ने नाकाम बनाया है. जर्मन शेफर्ड नस्ल के इन दोनों कुत्तों की मौजूदगी से वन क्षेत्र में होने वाले अपराधों में तेज गिरावट आई है.
बता दें कि कुछ साल पहले पेरियार क्षेत्र में शिकारियों और वन संपदा की चोरी की घटनाएं बहुत बढ़ गई थीं. इसी को देखते हुए मारायूर मॉडल स्निफर डॉग स्क्वॉड की शुरुआत की गई. जूली को 2015 में बीएसएफ ट्रेनिंग के लिए पेरियार के एक ट्रेनर के साथ ग्वालियर भेजा गया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 2016 में जूली ने पेरियार वाइल्डलाइफ सेंचुरी में लौटने के कुछ दिन ही बाद शिकारियों के एक गैंग को ढूंढ कर पकड़वाया.
बाद में जेनी को भी ट्रेनिंग के बाद जूली का साथ देने के लिए लाया गया. जूली की उम्र 6 साल और जेनी की 5 साल है. दोनों के सर्विस में अब तीन साल से भी कम बचे हैं. इन दोनों पर पेरियार स्निफर्स के नाम से डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है, जिसे काफी सराहना मिली थी. ये दोनों अपने काम में इतने माहिर हैं कि तमिलनाडु वन विभाग ने भी इनकी कई बार मदद ली है.
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