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साइबर सेल ने करोडों रुपये ठगने वाले दो कॉल सेंटर्स का किया भंडाफोड़...फॉरेन टच की इंग्लिश में डॉलर कमाई...34 लोग गिरफ्तार
jantaserishta.com
21 March 2021 3:40 AM GMT
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मेक्सिको, कोलंबिया के लोग थे टारगेट पर
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने विदेशी नागरिकों से करोडों रुपये ठगने वाले दो कॉल सेंटर्स का भंडाफोड़ किया है. उत्तम नगर में एक ही बिल्डिंग में दो बड़े कॉल सेंटर चलाए जा रहे थे. इन कॉल सेंटर्स के माध्यम से एप्पल स्पोर्ट, मैक कैफे स्पोर्ट एंटी वायरल और सोशल सिक्युरिटी के नाम पर विदेशी नागरिकों से करोड़ों रुपये ठगे जा रहे थे.
DCP साइबर सेल अनियेश राय के मुताबिक, इन कॉल सेंटर्स के जरिए विदेशों में बैठे नागरिकों को वॉइस नोट्स भेजे जाते थे, जिसमें US ड्रग्स इंफोर्समेंट के नाम पर धोखाधड़ी की जाती थी. इस गैंग के 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
विदेशों में बैठे लोगों को फंसाने के लिए POP UP मैसेज भेजते थे, जिसमें कहा जाता था कि आपकी डिवाइस हैक कर ली गई है. बाद में इसके ही सॉल्यूशन के नाम पर ठगी को अंजाम दिया जाता था. कभी एप्पल तो कभी मैक कैफे स्पोर्ट के नाम पर जालसाजी की जा रही थी. पुलिस ने कॉल सेंटर चलाने वाले अन्य लोगों के साथ इस गैंग के मास्टरमाइंड क्षितिज बाली अभिषेक और धनन्जय नेगी को भी गिरफ्तार कर लिया है.
DCP अनियेश राय ने बताया कि छापेमारी के दौरान पता चला कि इस कॉल सेंटर से कई विदेशी नागरिक भी जुड़े हुए थे. इस सेंटर के जरिए लोगों से 2 हजार से 3 हजार डॉलर तक वसूले जाते थे. यह गैंग, कॉलर्स को गिफ्ट्स कार्ड और लुभावने ऑफर भी देता था.
इस गैंग का मुख्य आरोपी क्षितिज बाली पिछले 4 सालों से दिल्ली-NCR के अलग-अलग इलाकों में कॉल सेंटर्स चला रहा है. वह मेक्सिको और कोलंबिया जैसे देशों में बैठे लोगों को ड्रग्स कार्ट्ल्स के नाम पर डराता-धमकाता था और एक्शन लेने की धमकी भी देता था.
सेंटर के जरिए रोजाना हो रही थी करोड़ों की कमाई
राय ने बताया कि इस गैंग के सदस्य डॉलर के बदले लोगों को बिटकॉइन देने का झांसा देते थे. इस गैंग ने कनाडा, कोलंबिया, मेक्सिको, कैलिफोर्निया और होस्टन के अलावा कई देशों में बैठे विदेशियों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है. ठगी के इस एक कॉल सेंटर के जरिए एक दिन में करीब 3 हजार डॉलर यानी करीब 5 लाख रुपये की कमाई की जा रही थी.
इस गैंग में नौकरी पाने के लिए बेहतरीन इंग्लिश और उसमें विदेशी भाषा का टच आना अनिवार्य होता था. यहां काम कर रहे लोगों को वेतन के रूप में 20-25 हजार रुपये प्रति माह मिलता था. जबकि टीम लीडर्स और क्लोजर्स (द्वितीय स्तर) को 45-50 हजार रुपये प्रति माह. वहीं मैनेजर का वेतन 75 हजार प्रति माह रहता था.
इसके अतिरिक्त, सभी कर्मचारियों को प्रोत्साहन का भुगतान किया जाता था. जो इस जालसाजी में सफल रहते उनको इन्सेन्टिव दिया जाता था. जब कोई भी कॉल करने वाला व्यक्ति 30-35 हजार USD से अधिक का घोटाला करने में कामयाब रहता, तो उसे नियमित प्रोत्साहन के अलावा महंगे उपहार भी दिए जाते थे.
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