भारत
अदालत ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में 35 आरोपियों को किया बरी
Shantanu Roy
16 Jun 2023 6:42 PM GMT
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गुजरात। गुजरात के पंचमहल जिले में हालोल शहर की एक अदालत ने 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के चार अलग-अलग मामलों में सभी 35 आरोपियों को बरी कर दिया है। इन चार मामलों में, तीन लोगों की हत्या कर दी गयी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने 12 जून को अपना फैसला सुनाया, जो 15 जून को उपलब्ध हुआ। अदालत ने दंगों को सुनियोजित बताने को लेकर ‘छद्म धर्मनिरपेक्ष मीडिया और नेताओं' की आलोचना की। डेलोल गांव में कलोल बस पड़ाव और डेरोल रेलवे स्टेशन क्षेत्र में 28 फरवरी, 2002 को हिंसा फैल जाने के बाद 35 लोगों को हत्या एवं दंगा फैलाने का आरोपी बनाया गया था। एक दिन पहले ही गोधरा में साबरमती ट्रेन में आग लगा दी गयी थी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि घातक हथियारों से तीन लोगों की हत्या कर दी गयी और सबूत नष्ट करने के इरादे से उनके शव जला दिये गये, लेकिन वह (अभियोजन पक्ष) आरोपियों के विरूद्ध सबूत पेश नहीं कर पाया। इन मामलों में 52 आरोपी थे। सुनवाई लंबित रहने के दौरान उनमें से 17 की मौत हो गई।
यह सुनवाई 20 साल से भी अधिक समय तक चली। मामलों के कागजातों के अनुसार राहत शिविर के दौरे के दौरान पुलिस को तीन लापता व्यक्तियों के बारे में बताया गया। ये राहत शिविर इलाके में दंगा होने के बाद स्थापित किये गये थे। यह आरोप लगाया गया था कि कलोल शहर और दो अन्य स्थानों पर हिंदुओं एवं मुसलमानों के बीच दंगे भड़क गये। कुछ दिन बाद, अल्पसंख्यक समुदाय के तीन लापता सदस्यों के शव पाये गये। दंगा करने, गैरकानूनी रूप से एकत्र होने और हत्या करने के आरोपों के तहत दर्ज मामले का सामना कर रहे सभी 52 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें उन्हें कलोल, हालोल और गोधरा की उपजेल भेज दिया गया। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। सुनवाई के दौरान कुल 130 गवाहों से जिरह की गई। अदालत ने कहा कि किसी भी आरोपी के विरूद्ध दंगा फैलाने का कोई भी आरोप नहीं टिक पाया तथा अभियोजन पक्ष अपराध में इस्तेमाल किये गये हथियारों को बरामद नहीं कर पाया। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘साम्प्रदायिक दंगों के मामले में पुलिस आमतौर पर दोनों समुदायों के सदस्यों को अभियोजित करती है। लेकिन इस तरह के मामलों में यह अदालत को पता लगाना है कि दोनों में से कौन सही हैं...।'' अदालत ने गोधरा कांड से स्तब्ध एवं ‘व्यथित लोगों के घावों पर नमक छिड़कने' को लेकर ‘छद्म धर्मनिरपेक्ष मीडिया और नेताओं की' आलोचना भी की। उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी 2022 को गोधरा ट्रेन अग्निकांड हुआ था।
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Shantanu Roy
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