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राजस्थान। राजस्थान में तबादले का इंतजार कर रहे शिक्षकों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है. शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा है कि राजस्थान सरकार ने फिलहाल तबादलों पर रोक लगा दी है. ऐसे में जब तक सरकार तबादले पर लगी रोक नहीं हटाएगी. तब तक तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं हो सकेंगे। उन्होंने कहा- शिक्षा विभाग ही नहीं, बल्कि राज्य के सभी सरकारी विभागों में फिलहाल तबादले नहीं हो रहे हैं. ऐसे में ट्रांसफर पर लगी रोक कब हटेगी? इसका फैसला मैं नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के स्तर पर ही होगा. दरअसल, राजस्थान के शिक्षा विभाग ने पिछले साल नई तबादला नीति तैयार कर कार्मिक विभाग को भेजी थी. डीओपी ने नीति को संशोधन के लिए दोबारा शिक्षा विभाग को लौटा दिया था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने इस साल एक बार फिर संशोधन के साथ पॉलिसी डीओपी को भेजी। इसके कुछ देर बाद ही शासन ने तबादले पर रोक लगा दी। इस कारण न तो नई नीति लागू हो पाई और न ही शिक्षकों का स्थानांतरण हो सका। वहीं, चुनावी साल में दोनों के पास आचार संहिता लागू करने के लिए कुछ ही समय बचा है. ऐसे में अगर सरकार अब ट्रांसफर पर लगी रोक हटा भी देती है तो भी ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए आवेदन की प्रक्रिया में वक्त लग सकता है. इसके चलते रोक हटने के बाद शिक्षकों के तबादले की संभावना कम है। इसे लेकर राज्य भर के शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है.
राजस्थान एकीकृत शिक्षक महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष हरपाल दादरवाल ने कहा- विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेताओं ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों का वादा किया था। लगभग 5 साल बीत गए. अभी तक एक भी शिक्षक का स्थानांतरण नहीं हुआ है. बल्कि तबादलों पर रोक लगाकर शिक्षकों को मूर्ख बनाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में प्रदेश भर के शिक्षक सरकार के खिलाफ ट्रांसफर नहीं तो वोट नहीं का अभियान चला रहे हैं. इसी कड़ी में 1 सितंबर को हजारों शिक्षक एक साथ बस्सी से जयपुर तक विरोध मार्च निकालेंगे. इसमें हजारों शिक्षकों के साथ उनके परिजन भी शामिल होंगे. इसके बाद हम जयपुर में बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे. अगर इसके बाद भी सरकार नहीं मानी. इसलिए आने वाले चुनाव में उन्हें सबक सिखाएंगे। पिछले साल 30 दिसंबर को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की सीएम और मंत्रियों के साथ हुई फीडबैक बैठक में थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों पर सहमति बनी थी. बैठक में सीएम अशोक गहलोत ने शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को मंत्रियों के सुझाव के बाद तबादले करने को कहा था. गहलोत ने शिक्षा मंत्री से कहा- जब आम सहमति है तो ये तबादले होने चाहिए और पहले की तरह ही होने चाहिए. साथ ही रंधावा ने शिक्षकों के तबादलों के लिए कोई नई नीति न लाने का भी सुझाव दिया. बैठक के 6 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं हो सके हैं. ऐसे में शिक्षकों के साथ-साथ विधायक भी चुनावी साल में तबादले की मांग करने लगे हैं। राजस्थान में पिछले 12 साल में केवल दो बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले हुए हैं. वर्ष 2010 में कांग्रेस सरकार ने, जबकि 2018 में भाजपा सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले किए हैं। पिछले साल अगस्त माह में शाला दर्पण पर शिक्षकों से तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. इसमें राज्य के 2.25 लाख शिक्षकों में से 85 हजार ने अपने गृह जिले में आने के लिए आवेदन किया था. वहीं, स्थानांतरण नीति में फिर से बदलाव की तैयारी में जुटे शिक्षा विभाग के खिलाफ तृतीय श्रेणी शिक्षक अब आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं.
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Shantanu Roy
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