देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) आने वाले दिनों में तेजी से अपने कारोबार की प्रकृति में बदलाव करती दिखेगी। भारत समेत दुनिया भर में पर्यावरण के मुद्दे को मिल रही प्राथमिकता और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की चल रही कोशिशों के मद्देनजर सीआइएल कोयला खनन के अलावा दूसरे क्षेत्रों में संभावना तलाशने लगी है।
विदेशों में कोबाल्ट, लिथियम खनिजों के क्षेत्र में उतरने की योजना बना रही कंपनी
इस क्रम में कंपनी की नजर क्रिटिकल माइंस (अत्याधुनिक प्रौद्योगिक आधारित उद्योगों के लिए जरूरी खनिजों) क्षेत्र पर है। कंपनी विदेशों में कोबाल्ट, लिथियम, निकल्स जैसे खनिजों के क्षेत्र में उतरने की योजना रखती है। ये उत्पाद ऐसे हैं जिनकी खपत आने वाले दिनों में इलेक्टि्रक व्हिकल्स, रिनीवेबल इनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन जैसे उद्योगों में बढ़ेगी।
रिनीवेबल ऊर्जा से जुड़े क्षेत्रों में उतरने की योजना बना रही कंपनी
दूसरी तरफ दुनिया भर में अगले कुछ दशकों में कोयला खनन को खत्म करने की तैयारी चल रही है। सीआइएल ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है कि दूसरे खनन क्षेत्रों में उतरने की संभावना को देखते हुए उसने कंपनी की चार्टर (MOA) में भी आवश्यक संशोधन कर लिया है। कंपनी की योजना रिनीवेबल ऊर्जा से जुड़े क्षेत्रों में खास तौर पर उतरने की योजना है।
इस बारे में जानकारी दी गई है कि सीआइएल अपनी निवेश योजना के तहत सौर ऊर्जा, ताप बिजली संयंत्रों, कोल गैसिफिकेशन और कोल बेड मिथेन क्षेत्र में उतरने के लिए अतिरिक्त फंड की व्यवस्था कर चुकी है। नये क्षेत्र में संभावनाओं की तलाश में उसे दूसरी कंपनियों के साथ गठबंधन करना पड़ सकता है।
company's eye on other mining areas
सीआइएल ने बताया है कि जुलाई, 2023 में उसका कोयला उत्पादन 13.4 फीसद ज्यादा हुआ है। इस महीने में कंपनी का कोयला उत्पादन 5.36 करोड़ टन का रहा है। इस तरह से वर्ष 2023-24 के पहले चार महीनों में कंपनी का कोयला उत्पादन 22.9 करोड़ टन का रहा है। यह चालू वित्त वर्ष के दौरान कंपनी ने जो लक्ष्य (78 करोड़ टन) रखा था उसके मुताबिक ही हो रहा है।
अगर कुल कोयला आपूर्ति की बात करें तो अप्रैल से जुलाई के माह में कंपनी ने 24.5 करोड़ टन की आपूर्ति की है। कंपनी का कहना है कि ताप बिजली संयंत्रों के पास अभी 3.30 करोड़ टन का कोयला स्टाक पड़ा है जो इस साल के शुरुआत के बराबर ही है। इस तरह से बिजली की मांग बढ़ने के बावजूद कोयला स्टाक पर कोई अंतर नहीं आया है।