कॉम्बैट डॉग्स: सेना के सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में निभा रहे अहम भूमिका
सोर्स न्यूज़ - आज तक
भारतीय सेना के कॉम्बैट डॉग्स (Combat Dogs) हमेशा से सेना के सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन का खास हिस्सा रहे हैं. इन्हें खासतौर पर छिपे हुए आतंकियों को ढूंढ निकालने और उनके ठिकानों का पता लगाने के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है. सेना के ऐसे ही दो खास कॉम्बैट डॉग कैडोक और केन हैं. ये दोनों डॉग्स बेल्जियन मैलिनॉय ब्रीड के हैं और ड्यूटी के दौरान जान गंवा चुके डॉग्स जूम और एक्सल के साथी हैं. जूम और एक्सल, दोनों ही इस साल भारतीय सेना की सेवा करते हुए शहीद हो गए थे.
भारतीय सेना इन चार पैरों के जाबांजों को खास ट्रेनिंग देती है. इन्हें सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों और उनके ठिकानों को ढूंढ निकालने के साथ-साथ वॉकी टॉकी से निर्देश लेने के लिए भी ट्रेन किया जाता है. इन कॉम्बैट डॉग्स के खास हैंडलर होते है. सेना के हर डॉग की देखरेख की पूरी जिम्मेदार एक डॉग हैंडलर की होती है. उसे डॉग के खाने-पीने से लेकर साफ-सफाई सहित सभी कामों का ध्यान रखना होता है.
भारतीय सेना में डॉग नौ साल की उम्र तक सेवाएं देते हैं. इन्हें रिटायरमेंट के बाद ओल्ड एज होम भेज दिया जाता है, जहां से इन्हें अडॉप्ट भी किया जा सकता है. सेना के डॉग्स का मुख्य काम सर्च एंड रेस्क्यू है. इसके अलावा इनसे बारूदी सुरंगें या बम खोजने में मदद ली जाती है. इनकी ट्रेनिंग खास तरह की होती है, जिसमें ये हाथ के इशारों और अलग-अलग तरह के मौखिक आदेशों के आधार पर काम करते हैं.
इसके अलावा इन डॉग्स से अलग-अलग ड्यूटी कराई जाती है, जिनमें गार्ड ड्यूटी, पैट्रोलिंग, आईईडी सहित विस्फोटकों का सूंघकर पता लगाना, माइन डिटेक्शन, सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद लेना शामिल है. देशभर में सेना में कुत्तों की 30 से अधिक यूनिट्स हैं. हर यूनिट में 24 डॉग्स होते हैं. अकेले जम्मू कश्मीर में डॉग्स की 12 यूनिट हैं. ये डॉग्स अलग-अलग ब्रीड के होते हैं, जिसमें लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियन मैलिनॉय शामिल हैं.
बता दें कि इस साल 13 अक्टूबर को भारतीय सेना का कॉम्बैट डॉग जूम आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गया था. उसके पैरों और चेहरे पर गोलियां लगी थी, जिसके बाद इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था. जूम भारतीय सेना का पहला कॉम्बैट डॉग नहीं है, जो ड्यूटी के दौरान शहीद हुआ. सेना दशकों से इन जाबांजों का इस्तेमाल करती रही है. इस साल जुलाई में एक्सल नाम के दो साल का कॉम्बैट डॉग भी जम्मू कश्मीर में सर्च ऑपरेशन में हिस्सा लेने के दौरान शहीद हो गया था.