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नई दिल्ली | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद शांति कायम होने के सरकार के दावे पर रविवार को सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि पूरे भारत में ‘‘आजादी का दमन'' किया गया है लेकिन केंद्र शासित प्रदेश में इसे सबसे ज्यादा दबाया गया है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के चार साल पूरे होने पर सरकार ने शनिवार को कहा था कि इस ‘‘ऐतिहासिक'' फैसले से जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की शुरुआत हुई।
‘कब्र की शांति और गुलाम की चुप्पी'
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में कहा था कि अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के फैसले के बाद सबसे बड़ा बदलाव यह आया है कि अब केंद्रशासित प्रदेश के लोग अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जी रहे हैं। चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद राज्य (अब केंद्र शासित प्रदेश) में आयी ‘शांति' का जश्न मना रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति (जॉन) केनेडी को उद्घृत करना चाहता हूं जिन्होंने ‘कब्र की शांति और गुलाम की चुप्पी' के खिलाफ आगाह किया था।''
महबूबा मुफ्ती को नजरबंद क्यों रखा है
चिदंबरम ने पूछा कि अगर जम्मू-कश्मीर में इतनी शांति है तो सरकार ने महबूबा मुफ्ती को नजरबंद क्यों रखा है और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तथा नेशनल कांफ्रेंस के कार्यालयों को सील क्यों कर दिया। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘पूरे देश में आजादी का दमन किया गया है लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसे सबसे ज्यादा दबाया गया है।'' केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
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