शिमला। आपदा के बढ़ते खतरे पर केंद्र सरकार ने हिमाचल को सतर्क किया है। केंद्र सरकार से भेजी गई रिपोर्ट में कुल 33 अलग-अलग आपदाओं में से 25 अकेले प्रदेश में मौजूद होने की बात कही गई है। भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश का करीब 32 प्रतिशत हिस्सा भूकंप के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र जोन-5 में …
शिमला। आपदा के बढ़ते खतरे पर केंद्र सरकार ने हिमाचल को सतर्क किया है। केंद्र सरकार से भेजी गई रिपोर्ट में कुल 33 अलग-अलग आपदाओं में से 25 अकेले प्रदेश में मौजूद होने की बात कही गई है। भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश का करीब 32 प्रतिशत हिस्सा भूकंप के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र जोन-5 में आता है, जबकि अन्य जोन चार में आता है। इसके अलावा प्रदेश को भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, हिमस्खलन और सूखे सहित विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील करार दिया गया है। गौरतलब है कि बरसात के दौरान प्रदेश को भयानक आपदा का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा प्रदेश में भूकंप के झटके भी नियमित अंतराल में आते रहते हैं। भूकंप जोखिम क्षेत्र में 32 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र अत्यधिक क्षति जोखिम क्षेत्र जोन-5 में आता है।
अन्य क्षेत्र जोन-4 में आता है। पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सेवानिवृत्त अधिशाषी अभियंता अपनी भूमिका निभाएंगे। इस टीम में कनिष्ठ अभियंता से अधीक्षण अभियंता तक को शामिल किया गया है। उनकी मदद से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण करवाने वाले लोग सीधा लाभ उठा पाएंगे। प्रदेश भर में 29 इंजीनियरों ने सुरक्षित भवन निर्माण में योगदान देने के लिए अपनी सहमति जताई है। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डीसी राणा ने बताया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सिविल इंजीनियरों से अपनी जानकारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण वेबसाइट पर उपलब्ध करवाने का आह्वान किया है, ताकि संभावित खतरों को कम कर तकनीकी व्यक्तियों की सहायता से सुरक्षित निर्माण कार्यों को और बढ़ावा मिल सके।