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JK में ब्रेन वाश करने की मुहिम तेज हुई, अलर्ट पर भारत की सुरक्षा एजेंसियां

jantaserishta.com
19 Oct 2021 2:47 AM GMT
JK में ब्रेन वाश करने की मुहिम तेज हुई, अलर्ट पर भारत की सुरक्षा एजेंसियां
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फाइल फोटो 

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में बढ़े आतंकवादी हमलों को लेकर एजेंसियां बेहद सतर्क हैं। एजेंसियों के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश में कट्टरपंथ तेजी से पांव पसार चुका है। यह भी एक बड़ी समस्या बन रहा है और इससे आतंकवादियों को खाद-पानी मिल रहा है। नए अंदाज में हमले और आतंकी गतिविधियों में गैर प्रशिक्षित लोगों के शामिल होने के पीछे जमात और वहाबी विचारधारा के जबरदस्त प्रसार को माना जा रहा है। एजेंसियां मान रही हैं कि कश्मीर के बड़े हिस्से में कट्टरपंथ अपने पांव पसार चुका है। घाटी में वहाबी विचारधारा का प्रसार करने के लिए पाकिस्तान ने कई तरीकों से पूरा जोर लगाया है।

कई अन्य कट्टरपंथी विदेशी ताकतें भी इसके पीछे हैं। खुफिया इनपुट भी इशारा कर रहे हैं कि कश्मीर में ताजा चुनौती आतंकवाद के साथ मजहबी कट्टरपंथ है। इसके लिए मोहरे के तौर पर सोशल मीडिया में प्रभाव रखने वाले कई समूहों के इस्तेमाल पर एजेंसियों की नजर है। जिहादी आतंकी कश्मीर में आम लोगों, अल्पसंख्यकों और गैर कश्मीरियों को निशाना बना रहे हैं। इस भय के कारण प्रवासी मजदूर लगातार पलायन के लिए मजबूर हो सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि घाटी में आखिरी बड़ा पलायन जनवरी, 1990 में हुआ था जब जिहादी आतंकी कश्मीरी पंडितों की चुन-चुनकर हत्या कर रहे थे। उस वक्त नारा लगाया जाता था 'हम चाहते निजाम-ए-मुस्तफा', 'रलीव, गलीव, चलीव' यानी धर्म बदल लो, मारे जाओ या भाग जाओ। सूत्रों का कहना है कि कश्मीर का बड़ा हिस्सा मजहबी उन्माद से प्रभावित हो रहा है।
कश्मीर के राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर नूर अहमद बाबा का कहना है कि कश्मीर में आतंकी अकसर मुसलमानों को भी मारते हैं। इसलिए इसे धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए, लेकिन पूर्व बीएसएफ अधिकारी कहते हैं इसका कारण भी मजहबी होता है। ये आतंकी संगठन गैर-मुस्लिमों को काफिर और मुशरिक बताकर निशाना बनाते हैं। वहीं, सामान्य जीवन जी रहे मुसलमानों को मुनाफिक या ढोंगी बताकर मारते हैं।
अनुच्छेद-370 समाप्त होने के बाद युवाओं का ब्रेन वाश करने की मुहिम भी तेज हुई है। कट्टरपंथ की पौध मस्जिद-मदरसों में तेजी से फैल रही है। इन्हें अहले हदीसे और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन संचालित करते हैं, जो लश्कर और जैश जैसे संगठनों का भी वैचारिक समर्थन करते हैं।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठन नए नाम से दहशत फैला रहे हैं। मजदूरों, कश्मीरी पंडितों और गैर कश्मीरियों की हत्या में द रेजिस्टेंस फ्रंट आतंकी संगठन के बाद हरकत का नाम सामने आ रहा है। इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां आतंकी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट की कुंडली खंगालने में जुटी हैं। आतंकी संगठन हरकत 313, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट और द रजिस्टेंस फ्रंट इस समय दहशत फैलाने में जुटे हैं। एजेंसियां फिलहाल इन्हें लश्कर का ही बदला रूप मान रही हैं। सुरक्षा बल से जुड़े एक आला अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से ये नए नाम चर्चा में हैं। ज्यादातर मामलों में मुख्य चेहरों के नदारद रहने से सुरक्षा बलों के सामने अलग तरह की चुनौती है।
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