गुजरात में पश्चिमी संस्कृति का उत्सव मनाने का एक अनोखा कोशिश द्वारका से आया है. जगतमंदिर द्वारका में एक बड़ा निर्णय लिया गया है, इस निर्णय के अनुसार कोई भी आदमी छोटे कपड़े पहनकर मंदिर में नहीं जा सकेगा। अब छोटी ड्रेसों पर भी लगेंगे ‘नो एंट्री’ के बोर्ड! जानकारी के अनुसार जगत मंदिर द्वारका में भारतीय संस्कृति के अनुरूप मंदिर की गरिमा को बनाए रखने के लिए यह खास निर्णय लिया गया है, पता चला है कि भविष्य में श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस न पहुंचे इसके लिए यह अहम निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के बोर्ड भी लगाए गए हैं, जिनमें गुजराती-हिंदी-अंग्रेजी में आगंतुकों को निर्देश देने वाले बैनर भी शामिल हैं.
हाल ही में आगरा-मथुरा में मंदिरों में आने वाले भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करने के बाद कई जिलों के मंदिरों में ऐसे नियम लागू किए जा रहे हैं और भक्तों से मंदिर में हिंदू संस्कृति का पालन करने का निवेदन किया जा रहा है। उन्हें उचित पोशाक पहनने के लिए बोला जा रहा है। अब इसमें हापुड के मशहूर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का नाम भी शामिल हो गया है, जहां अब भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है. इसके अनुसार फटी जींस, शॉर्ट्स, फ्रॉक और नाइट सूट जैसे कपड़े पहनकर मंदिर आने वाले भक्तों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मंदिर प्रशासन ने क्या कहा?
गढ़ या राजा श्री मुक्तेश्वर महादेव मंदिर प्रशासन ने मंदिर के बाहर और अंदर पोस्टर लगाए हैं, जिसमें भक्तों से मंदिर के अंदर उचित कपड़े पहनने की अपील की गई है. मंदिर प्रशासन का बोलना है कि मंदिर में मैले-कुचैले और छोटे कपड़े पहनने से मंदिर की गरिमा खराब होती है. भक्तों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। अगर भक्त ऐसे कपड़े पहनकर आते हैं तो उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा और वे बाहर से ही भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
मंदिर के बाहर पोस्टर लगाए गए
मंदिर के बाहर लगे पोस्टर पर लिखा है कि मंदिर दर्शन का जगह है, प्रदर्शनी का जगह नहीं। श्री मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में आने वाले सभी भक्तों से निवेदन है कि वे सादे कपड़े पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करें. छोटे कपड़े, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी टॉप, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट और रिप्ड जींस आदि नहीं पहनना चाहिए. बाहर से आने वाली सूचनाओं को देखकर योगदान करें. इससे पहले भी कई मंदिरों में भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा चुका है। कई लोगों का बोलना है कि ऐसे कपड़े पहनने से दूसरे भक्तों का ध्यान भटकता है.