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Bhiwani : बैल की मौत होने पर गाजे-बाजे के साथ निकाली अंतिम यात्रा

5 Feb 2024 2:20 AM GMT
Bhiwani : बैल की मौत होने पर गाजे-बाजे के साथ निकाली अंतिम यात्रा
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हरयाणा : भिवानी के गांव कितलाना के किसान शेर सिंह के बेटों ने बैल की मौत होने पर गाजे-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली और अपने खेत में दफनाया। अब मंगलवार को बैल की मौत पर मृत्युभोज दिया जाएगा, जिसमें आसपास के गांवों के मौजिज लोग भी शिरकत करेंगे। किसान के बेटे अब बैल …

हरयाणा : भिवानी के गांव कितलाना के किसान शेर सिंह के बेटों ने बैल की मौत होने पर गाजे-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली और अपने खेत में दफनाया। अब मंगलवार को बैल की मौत पर मृत्युभोज दिया जाएगा, जिसमें आसपास के गांवों के मौजिज लोग भी शिरकत करेंगे। किसान के बेटे अब बैल का स्मारक बनवाएंगे।

कितलाना निवासी बलवान (57) ने बताया कि उसके पिता शेर सिंह के पास चार एकड़ भूमि थी। सात बच्चों का लालन-पालन इस सीमित भूमि पर खेतीबाड़ी से होता था। करीब डेढ़ साल के उम्र में गांव अजीतपुर से एक बछड़ा आकर उनके पशु बाड़े में चरने लगा। उसके पिता ने भी उसे नहीं रोका।

तीन दिन बाद उस बछड़े का मालिक वहां आया और कहा कि यह बछड़ा मेरा है। उसके पिता ने कहा कि ले जाओ। जब मालिक उसे ले जाने लगा तो बछड़ा नहीं गया। थक हार कर मालिक ने बछड़े को वहीं छोड़ दिया। जब बछड़ा युवा हुआ तो किसान शेर सिंह ने उसे नथा दिया यानी उसके नथ डालकर उसे बैल बना दिया और अपने खेतों में उससे हल जोतने लगा।

करीब 12 साल तक शेर सिंह ने इस बैल से खेतों में खूब कमाया। किसान शेर सिंह ने बेटों और बेटियों का विवाह शादी कर दी और परिवार की जिम्मेदारियां भी उसी बैल से कमाते हुए निभाई। बैल बूढ़ा हो चला था। इसके बाद परिवार ने नया ट्रैक्टर खरीद लिया, लेकिन शेर सिंह ने बैल की जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ा। शेर सिंह का 2008 में निधन हो गया। अपने देहांत से पहले उसने अपने तीन बेटों से वचन लिया था कि इस बैल को न तो वे लावारिस छोड़ेंगे और न ही उससे अब कोई काम लेंगे।

बेटों ने भी पिता के दिए वचन को निभाया। बैल 27 साल और तीन माह परिवार के साथ रहने के बाद आखिर एक फरवरी 2024 को प्राण त्याग गया। पिता को दिए वचन के अनुसार परिवार ने ट्रैक्टर में गाजे बाजे से शवयात्रा निकाली और उसे उसी खेत में ले जाया गया, जहां वो रोजाना सुबह हल से जुड़कर खूब कमाता था। वहां हिंदू रीति रिवाज से उसे दफना दिया गया। उसी स्थान पर अब बैल का स्मारक भी बनेगा। वहीं, किसान के ये तीनों बेटे अब 6 फरवरी यानि मंगलवार को मृत्युभोज यानी काज करेंगे। संवाद

इन गांवों के मौजिज लोग करेंगे काज में शिरकत
कितलाना निवासी बलवान ने बताया कि वे तीन भाई बलवान, राजपाल और सुरेंद्र तीनों इकट्ठे रहकर खेतीबाड़ी करते हैं। बैल की मृत्यु भोज से पहले सोमवार शाम को भजन कीर्तन होगा और मंगलवार सुबह मृत्यु भोज होगा। जिसमें आसपास के गांव निमड़ीवाली, गौरीपुर, अजीतपुर, छोटा पैंतावास, छपार से भी मौजिज लोग शिरकत करेंगे।

लावारिस पशु छोड़ने वालों के लिए शेर सिंह के बेटों ने दी बड़ी नसीहत: संजय परमार
गोरक्षा दल भिवानी के जिला अध्यक्ष संजय परमार ने कहा कि किसान शेर सिंह के तीनों बेटों ने लावारिस पशु छोड़ने वालों के लिए बड़ी नसीहत दी है। मंगलवार को गो रक्षा दल की टीम शेर सिंह के तीनों बेटों को गांव कितलाना में सम्मानित करेगी।

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