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आजम खान ने विरोधियों पर साधा निशाना, पत्रकारों से कहा - आप समझ गए होंगे

Nilmani Pal
22 May 2022 2:14 AM GMT
आजम खान ने विरोधियों पर साधा निशाना, पत्रकारों से कहा - आप समझ गए होंगे
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यूपी। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान लंबे समय बाद जेल से रिहा हो गए हैं. जेल से रामपुर लौटते ही आजम खान ने अपने ही अंदाज में विरोधियों को निशाने पर लिया, साथ ही तमाम राजनीतिक सवालों के जवाब भी दिए. सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराजगी और सियासी भविष्य जैसे कई सवाल भी आजम खान से किए गए. अखिलेश पर तो हालांकि आजम ने सीधे तौर पर कुछ नहीं बोला लेकिन खुद को नेता विपक्ष से भी बड़ा कहकर उन्होंने अपना कद जरूर बता दिया. साथ ही इस्लामिक संगठनों के बीच जाने की बात कहकर आजम खान ने फ्यूचर प्लान भी सामने रख दिया.

शुक्रवार को यूपी की सीतापुर जेल से अपने घर रामपुर लौटने के बाद आजम खान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान आजम खान ने देश के मौजूदा हालात और मुसलमानों की स्थिति पर कहा, ''मुसलमानों को जो भी सजा मिल रही है, वो उनके राइट ऑफ वोट की वजह से मिल रही है. सभी राजनैतिक दल ये समझते हैं कि मुसलमान सियासी दलों के राजनीतिक समीकरण खराब कर देते हैं.''

आजम खान ने कहा कि बरेली का मरकज हो, मुबारकपुर हो, देवबंद हो या नदवा..इन सभी से मैं इस बार कोशिश करूंगा कि हम सोचे कि कहीं ये वोट तो हमारी बर्बादी की वजह नहीं है. शायद आप मेरा मतलब समझ सके होंगे. यानी आजम खान ने पत्रकारों पर छोड़ दिया कि आप समझ गए होंगे. आजम खान के इस बयान के क्या मायने हैं, ये अब बड़ा सवाल है.

आजम खान के बयान पर पत्रकार विजय उपाध्याय का कहना है कि आजम खान की पूरी राजनीति मुस्लिम केंद्रित रही है. आजम खान हमेशा से यूपी में खुद को मुस्लिमों का सबसे बड़ा लीडर मानते रहे हैं. लेकिन उनके जेल में होने के बावजूद मुसलमानों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एकमुश्त वोट सपा को दिया. ये बात आजम को सूट नहीं कर रही है. यही वजह है कि वो एक बार फिर से खुद को मुस्लिम राजनीति में फिट करने की कोशिश कर रहे हैं. इसकी एक वजह यूपी में असदुद्दीन ओवैसी की सक्रियता भी है, लिहाजा फिर से खुद को खड़ा करने के लिए उन्हें मुसलमानों के सामूहिक नेतृत्व की बात करनी होगी. विधानसभा चुनाव में सपा की हार के बाद से लगातार यूपी की राजनीति में ये चर्चाएं हैं कि आजम खान और उनके समर्थक सपा से नाराज चल रहे हैं. कई नेताओं ने आजम खान के समर्थन में सपा से इस्तीफे भी दिए और पार्टी नेतृत्व पर मुश्किल वक्त में आजम खान का साथ ने देने के आरोप भी लगाए.

आजम खान से इसी से जुड़ा सवाल भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया कि क्या वो मुस्लिमों का चेहरा बनकर राजनीति का नया विकल्प दे सकते हैं. इस पर आजम खान ने कहा, ''इस वक्त मेरे लिए बीजेपी, बहुजन समाज पार्टी या कांग्रेस इसलिए बहुत बड़ा सवाल नहीं है क्योंकि मेरे, मेरे परिवार और मेरे लोगों पर हजारों मुकदमें दर्ज हुए हैं. मैं बस इतना कह सकता हूं कि मेरी तबाहियों में मेरे अपने लोगों का बड़ा हाथ है.'' तो फिर आजम खान के लिए कौन-सा सवाल बड़ा है और उन्होंने मुसलमानों के बरेलवी-देवबंदी फिरकों समेत मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दर पर जाकर मुस्लिम मतदाताओं के बारे में सोचने की बात क्यों कही है.

पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि आजम खान दरअसल कोई नया विकल्प खड़ा नहीं करना चाहते हैं, वो सपा के भीतर रहकर ही अपने पुराने कद को वापस पाना चाहते हैं, इसीलिए वो ये कवायद कर रहे हैं.

सिद्धार्थ कलहंस का कहना है कि सपा से मुसलमानों की नाराजगी की बात भले ही चर्चा में हो लेकिन आजम खान जब सीतापुर जेल से रिहा हुए तो वहां सपा के मुसलमान विधायक नजर नहीं आए. इससे साफ जाहिर होता है कि आजम खान की स्वीकार्यता को झटका लगा है. इसीलिए आजम खान पहले खुद को मुस्लिम समाज के बीच खुद को मजबूती के साथ स्थापित करना चाहते हैं.

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