जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एंटीलिया बम कांड मामला और व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को प्रदीप शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। उनकी अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर सोमवार को शीर्ष कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को निर्देश दिया है कि वह अंतरिम जमानत के लिए नई याचिका दाखिल करें। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने यह निर्देश दिया है।
मामले में सुनवाई सुनवाई शुरू होते ही पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा के वकील ने मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत मांगी। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी की सर्जरी के बाद हालत हर दिन बिगड़ती जा रही है। ऐसे में वह उनकी देखभाल के लिए अंतरिम जमानत मांग रहे हैं।
इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कड़ा विरोध जताया। साथ ही कहा कि प्रदीप शर्मा की पत्नी अक्सर अस्पताल में उनसे मिलती रही हैं। उन्होंने दलील दी कि प्रदीप शर्मा बिना किसी अंतर्वर्ती आवेदन (अपील में आवेदन पहले से ही स्थापित) दाखिल किए बिना अंतरिम जमानत की मांग कर रहे थे। इसे ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने नई याचिका दाखिल करने के लिए कहा। फिलहाल इस मामले को अगली सुनवाई के लिए पांच जून को सूचीबद्ध किया है।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने बंबई हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली शर्मा की याचिका पर 18 मई को नोटिस जारी किया था। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रदीप शर्मा को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। साथ ही जिस तरह से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामले की जांच की थी, उस पर भी हाईकोर्ट ने नाराज़गी जताई थी। प्रदीप शर्मा ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा फरवरी 2022 में जमानत याचिका को खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए बीते साल बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
बाद में 23 जनवरी 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एंटीलिया के बम से उड़ाने की धमकी देने और व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में गिरफ्तार पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस आरएन लड्डा की पीठ ने प्रदीप शर्मा को जमानत देने से इंकार कर दिया था।