x
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में देश के अधिकतर ''संवेदनशील'' स्थानों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों कम हुई हैं और जहां खतरा सबसे अधिक था वहां सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि इस दौरान पूर्वोत्तर के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में हिंसक घटनाओं में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह ''सुखी पूर्वोत्तर'' का सूचक है. शाह ने 'राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस' के मौके पर यहां चाणक्यपुरी क्षेत्र में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में शीर्ष पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी सुरक्षा स्थिति में इसी तरह सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि अधिकतर ''संवेदनशील'' स्थानों पर अब राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां कम हुई हैं और यह हमारे लिए काफी संतोषजनक व गर्व की बात है.''
शाह ने कहा कि पूर्वात्तर राज्यों में मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों (अफस्पा के तहत) को दी गई विशेष शक्तियों को वापस ले लिया है और इसके बजाय क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए वहां के युवाओं को ''विशेष अधिकार'' दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हालात ऐसे हैं कि जो लोग पहले सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकते थे, वे अब ''पंच'' और ''सरपंच'' बन रहे हैं और लोकतांत्रिक तरीके से क्षेत्र के विकास में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित राज्यों में जहां हिंसा की काफी वारदातें होती थीं, वहां 'एकलव्य' स्कूलों में राष्ट्रगान गाया जा रहा है और उन इलाकों में मकानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है. शाह ने कहा कि देशभर के 35 हजार से अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के ''बलिदान'' की वजह से ही भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि मैं आश्वासन देता हूं कि इन कर्मियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और मैं यह कहना चाहूंगा कि देश पुलिस की प्रतिबद्धता के कारण ही आगे बढ़ रहा है. इन कर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए शाह ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कर्मियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और गृह मंत्रालय ने बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवा सुनिश्चित करने, उनकी बेहतर आवासीय व्यवस्था तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के जवानों के 'ड्यूटी रोस्टर' (कामकाजी घंटों) को मानवीय बनाने के लिए ''प्रभावी कदम'' उठाए हैं और उसके ''निश्चित परिणाम'' भी मिल रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 2014 में सीएपीएफ के 37 प्रतिशत जवान ही आवासीय सुविधाओं से संतुष्ट थे और अब 48 प्रतिशत जवान इससे संतुष्ट हैं. सरकार का लक्ष्य इसे अगले कुछ वर्षों में 60 प्रतिशत करने का है. शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केंद्र की स्वास्थ्य देखभाल योजना 'आयुष्मान भारत' के तहत सीएपीएफ के सैनिकों व उनके परिवारों को 35 लाख कार्ड बांटे हैं और उनकी सेवाओं पर अभी तक 20 करोड़ रुपये (रिइंबर्स) खर्च किए हैं. 'पुलिस स्मृति दिवस', लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके में 1959 में चीन के आक्रमण की जवाबी कार्रवाई के दौरान जान गंवाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवानों की याद में मनाया जाता है. शाह ने विभिन्न केंद्रीय पुलिस और खुफिया संगठनों के प्रमुखों के नेतृत्व में पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की. यह जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान में बना 30 फुट लंबा और 238 टन भारी काले ग्रेनाइट का एक स्मारक है. खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका ने इस मौके पर बताया कि पिछले एक साल में कुल 264 पुलिस व सीएपीएफ कर्मियों की सेवाओं के दौरान जान चली गई. डेका ने कहा कि देश में आंतरिक सुरक्षा में तैनात 36,059 पुलिस और सीएपीएफ कर्मियों ने सेवारत रहते हुए जान दी.
Admin4
Next Story