बेंगलूरु. बसवनगुडी के जिनकुशलसूरि जैन दादवाड़ी में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने कहा कि हम सब सफलता हासिल तो करना चाहते हंै लेकिन दूसरों की सफलताओं से ईष्र्या करते हैं। यह तो वही बात हुई कि हम सफल होने के बारे में, कामयाबी के विषय में केवल सोचते हैं कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। वास्तव में हम दूसरों की सफलताओं से प्रेरणा लेने की तुलना में जलन की भावना से ज्यादा पीडि़त रहते हैं। नियम है सफलता ही सफलता को आकर्षित करती है। इसके लिए हमें सफलता से प्रेम करने की जरूरत है। किसी को आगे बढ़ते देख खुश होना एक सफल और संतुष्ट व्यक्ति की पहचान होती है। एक सच्चा विजेता ही दूसरे विजेता को सम्मान दे सकता हैं। इंसान के रूप में हमें जीवन को सरल और सौहार्द्र के साथ व्यतीत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जीवन को जटिल बनाने की अपेक्षा सरल बनाने पर जोर देना होगा। बेहतर समय हमेशा से इसी इंतजार में है कि कब हम जीवन को सरल और सहज रूप में ढालें। सफलता की कल्पना करना कठिन नहीं है। कल्पना करना हमारे स्वयं के हाथ में ही होता हैं। हमें स्वयं ही प्रयास करना होगा कोई और हमारी सहायता नहीं कर सकता। हमें खुद को विकसित करने की आवश्यकता है। वस्तुत: कोशिश यह होनी चाहिए कि हम हर परिस्थिति में केवल अच्छी चीजों को ही देखें। कामयाबी के लिए सफलता प्राप्त लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी ही होगी। सबसे महत्वपूर्ण धैर्य रखना होगा। अगर हम धैर्य के साथ लगातार प्रयास करते हैं तो सफलता को आना ही पड़ता है। जितना हम एक चीज को समय देते हैं, उतने ही सकारात्मक परिणाम अर्जित किए जा सकते है। कुछ जानकारी हर विषय के बारे में होनी जरूरी है लेकिन एक विषय के बारे में अच्छी समझ हमें आगे बढऩे में मदद करती हैं। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से अभ्यास करने की आवश्यकता है। दूसरों की कमियों के विषय में बात करके हमारा कोई फायदा नहीं होगा। खुद का आत्मविश्लेषण सबसे महत्वपूर्ण हैं।