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17.50 लाख भारतीय जाएं?

Sonam
25 July 2023 11:24 AM GMT
17.50 लाख भारतीय जाएं?
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पिछले 13 साल के अंदर (2011 से 2023 तक) 17.50 लाख लोगों ने भारत की नागरिका छोड़ दी है। ये लोग विदेशों में जाकर बस चुके हैं। इसको लेकर हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2023 भी आ चुकी है। इसमें भी भारत छोड़ने वाले नागरिकों का पूरा ब्योरा दिया गया है। यही नहीं, ये भी बताया गया है कि आखिर लोग भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में क्यों बस रहे हैं?

13 साल में कितने लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है?

साल कितने भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी?

2011 1,22,819

2012 1,20,923

2013 1,31,405

2014 1,29,328

2015 1,31,489

2016 1,41,603

2017 1,33,049

2018 1,34,561

2019 1,44,017

2020 85,256

2021 1,63,370

2022 2,25,620

2023 87,026

कुल 17,50,466

नोट : 2023 के आंकड़े 26 जून तक के हैं। आंकड़े केंद्रीय विदेश मंत्रालय से लिए गए हैं।

पाकिस्तान, बांग्लादेश तक की नागरिकता ले रहे लोग

केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने 135 देशों की सूची जारी की है, जहां इन 17.50 लाख से ज्यादा लोग गए हैं। हैरानी की बात है कि भारत की नागरिकता छोड़कर कई लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल और चीन तक की नागरिकता ले चुके हैं। भारत छोड़ने के बाद सबसे ज्यादा लोग अमेरिका में बसे हैं। इनकी संख्या करीब सात लाख बताई जा रही है। इसके अलावा ब्रिटेन, रूस, जापान, इस्राइल, इटली, फ्रांस, यूएई, यूक्रेन न्यूजीलैंड, कनाडा, जर्मनी जैसे देशों में भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। कुछ लोगों ने युगांडा, पापुआ न्यू गिनी, मोरक्को, नाइजीरिया, नॉर्वे, जाम्बिया, चिली जैसे देशों की नागरिकता भी ली है।

कोरोना के बाद सबसे ज्यादा लोग विदेश में बसे

मानसून सत्र के दौरान सांसद कीर्ति चिदंबरम के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि कोरोना के बाद 2022 में सबसे ज्यादा 2.25 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है। कोरोना के दौरान यानी 2020 में सबसे कम 85 हजार और 2021 में 1.63 लाख लोग विदेश में जाकर बस गए।

भारत क्यों छोड़ रहे हैं लोग?

इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, 'आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो साफ पता चलता है कि भारत छोड़ने वाले ज्यादातर लोग नौकरीपेशा हैं। इनमें अमीरों की संख्या कम है। नागरिकता छोड़ने वाले करोड़पति भारतीयों की संख्या केवल 2.5 प्रतिशत है, जबकि बाकी 97.5 प्रतिशत लोग नौकरीपेशा से हैं।'

डॉ. आदित्य के अनुसार, भारत की नागरिकता छोड़ने वाले 90 से 95 प्रतिशत लोग बेहतर कॅरियर विकल्प के लिए विदेशों में बसते हैं। कई लोग छोटे देश इसलिए चुनते हैं, ताकि वहां जाकर वह व्यापार कर सकें। इन देशों में टैक्स का दायरा भी कम होता है। इससे उन्हें कारोबार बढ़ाने का अच्छा मौका मिल जाता है। इसके अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे देशों में जाने वाले ज्यादातर लोग अपने निजी कारणों से जाते हैं।

उन्होंने कहा, भारत दोहरी नागरिकता नहीं देता, इसलिए किसी दूसरे देश में बसने की इच्छा रखने वाले लोगों को नागरिकता छोड़नी जरूरी है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में विदेश छोड़ने वालों के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। 2010 तक नागरिकता छोड़ने वाले सात प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ रहे थे। अब यह दर 29% हो गई है।

भारतीय लोगों को रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?

संसद में केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस सवाल का जवाब दिया है। उन्होंने कहा, 'ज्यादातर लोग काम के सिलसिले में विदेश जाते हैं और वहां व्यक्तिगत सुविधाओं के चलते रहने लगते हैं। ऐसे में भारतीयों के पलायन को रोकने के लिए सरकार कई तरह से कदम उठा रहा है। मेक इन इंडिया के जरिए भारत में ही नागरिकों को बेहतर कॅरियर का विकल्प देने की कोशिश हो रही है। इसका असर भी हो रहा है।'

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