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बिल्डर को अदालत की कार्यवाही खत्म होने तक रुकने’ की सजा सुनाई
ठाणे: महाराष्ट्र में ठाणे की मजिस्ट्रेट अदालत ने चेक बाउंस मामले में एक बिल्डर को ‘अदालत की कार्यवाही खत्म होने तक रुकने’ की सजा सुनाई और 41.44 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जिस व्यक्ति को ‘अदालत की कार्यवाही खत्म होने तक रुकने’ की सजा दी जाती है उसे दिन समाप्त होने तक अदालत छोड़ने की …
ठाणे: महाराष्ट्र में ठाणे की मजिस्ट्रेट अदालत ने चेक बाउंस मामले में एक बिल्डर को ‘अदालत की कार्यवाही खत्म होने तक रुकने’ की सजा सुनाई और 41.44 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
जिस व्यक्ति को ‘अदालत की कार्यवाही खत्म होने तक रुकने’ की सजा दी जाती है उसे दिन समाप्त होने तक अदालत छोड़ने की अनुमति नहीं होती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ठाणे के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी हरीश परदेशी ने अनिल ठाकुरदास कुर्सीजा को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (परक्राम्य लिखत अधिनियम), 1881 की धारा 138 के तहत दोषी ठहराया। एक महीने में जुर्माना देने में विफल रहने पर आरोपी को दो महीने और कारावास की सजा भुगतनी होगी।
आदेश पांच जनवरी को पारित किया गया और इसकी प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई।कुर्सीजा फिलहाल एक अन्य मामले में जेल में बंद है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नवंबर 2016 में ठाणे स्थित एक व्यवसायी ने एक निर्माण फर्म के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। निर्माण फर्म में कुर्सीजा भी एक भागीदार था और उसने पूरा भुगतान करने के बावजूद व्यवसायी को अपनी परियोजना में फ्लैट का कब्जा नहीं दिया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता ने फ्लैट की खरीद के लिए 14.99 लाख रुपये का भुगतान किया था।
अदालत को बताया गया कि बिल्डर ने फ्लैट का मालिकाना हक देने में देरी की थी इसलिए शिकायतकर्ता ने धन वापस करने की मांग की। निर्माण कंपनी ब्याज का भुगतान करने पर सहमत हुई लेकिन ऐसा करने में विफल रही। बातचीत के बाद फर्म ने 38,21,000 रुपये के चेक जारी किए लेकिन वे बाउंस हो गए