उत्तराखंड

कपकोट विधायक सुरेश गड़िया और डॉक्टर के बीच बातचीत का वीडियो वायरल, विवाद बढ़ा

Gulabi Jagat
23 Aug 2022 9:10 AM GMT
कपकोट विधायक सुरेश गड़िया और डॉक्टर के बीच बातचीत का वीडियो वायरल, विवाद बढ़ा
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बागेश्वर: जिला अस्पताल में निरीक्षण के दौरान कपकोट विधायक सुरेश गड़िया (Kapkot MLA Suresh Gadia) और डॉक्टर के बीच बातचीत का एक वीडियो वायरल (Video of MLA Suresh Gadiya and doctor goes viral) होने के बाद विवाद पैदा हो गया है. वीडियो में नजर आ रहा है कि विधायक खड़े हैं और स्वास्थ्य कर्मी और डॉक्टर बैठे हुए हैं. विपक्षी दलों के नेताओं ने इस वीडियो को सोशल मीडिया में वायरल कर 'जनप्रतिनिधि की हालत' कैप्शन देकर विधायक पर तंज कसा है. वहीं, विधायक के सामने कर्मचारियों के बैठे रहने को लेकर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
दरअसल, विधायक ने निरीक्षण के दौरान एक मरीज को भर्ती न करने पर आपत्ति जताई थी, और इसी बात को लेकर विवाद हो गया. इस दौरान विधायक से बातचीत करते हुए भी डॉक्टर कुर्सी से टस से मस नहीं हुए और न विधायक को बैठने को कहा गया. वीडियो सामने आने के बाद विपक्ष ने लाचार विधायक व अफरसाही पर तंज कसा है. वहीं, इस मामले में विधायक ने डीएम रीना जोशी और सीएमओ सुनीता टम्टा से शिकायत की है, जिस पर सीएमएस विनोद कुमार टम्टा ने डाक्टरों की आपात बैठक बुलाई और डॉक्टर को फटकार भी लगाई है.
विधायक सुरेश गड़िया और डॉक्टर के बीच बहस.
क्या था विवाद: विधायक ने जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एक बीमार को जल्द एडमिट करने को लेकर डॉक्टर को कहा था. डॉक्टर ने सीनियर डॉक्टर का हवाला देते हुए मरीज को एडमिट करने से मना कर दिया, साथ ही उनको तीन दिन बाद आने को कहा. ये बात विधायक को नागवार गुजरी और उन्होंने सीएमओ सुनीता टम्टा से बात की. सीएमओ ने विधायक के फोन से ही डॉक्टर से भी बात की. यही वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया. वहीं, मामले में पूर्व विधायक ललित फस्वार्ण व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने कहा कि वीडियो में विधायक सुरेश गड़िया खड़े हैं, अफसरशाही साफ तौर पर देखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि, लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि सर्वमान्य होता है, उनकी बात सुनी जानी चाहिए थी, पर जिस तरह से उनके साथ ये हुआ तो सोचने वाली बात है आम जनता का क्या हाल होता होगा? उन्होंने इसे देवभूमि का दुर्भाग्य बताया.
वहीं, सीएमएस विनोद कुमार टम्टा ने बताया कि इस पूरे प्रकरण के बाद उन्होंने डॉक्टरों की बैठक बुलाई और इमरजेंसी में तैनात डॉ. भावना को फटकार लगाई. डॉक्टर की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है कि उनकी कोई गलती नहीं है, मरीज उनका नहीं था इसलिए वो निर्णय नहीं ले सकती थीं.
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