उत्तराखंड

2022 में इतनी हो सकती है उत्तराखंड की आबादी, दो साल से रुकी जनगणना जल्द होगी शुरू

Gulabi Jagat
18 Aug 2022 7:18 AM GMT
2022 में इतनी हो सकती है उत्तराखंड की आबादी, दो साल से रुकी जनगणना जल्द होगी शुरू
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उत्तराखंड न्यूज
देहरादून: दो वर्षों से स्थगित 2021 की जनगणना के आरंभ को लेकर कैबिनेट मंत्री डॉक्टर प्रेमचंद अग्रवाल ने विभागीय सचिव के साथ समीक्षा बैठक की. बुधवार को विधानसभा स्थित कार्यालय पर कैबिनेट मंत्री डॉक्टर प्रेमचंद अग्रवाल ने जनगणना एवं पुनर्गठन सचिव चंद्रेश यादव के साथ समीक्षा बैठक की. डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2011 के बाद 2021 में जनगणना की जानी थी. मगर कोविड 19 के चलते जनगणना नहीं की जा सकी.
मंत्री डॉक्टर प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि जनगणना निदेशालय भारत सरकार के द्वारा जनगणना के संबंध में जो भी निर्देश दिए गए हैं, उन निर्देशों का यथा अनुपालन करते हुए इस वर्ष जनगणना आरंभ की जाए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के दिए गए निर्देशों के अनुसार आगामी जनगणना की जाए. साथ ही पूरी कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र उनके समक्ष प्रस्तुत की जाए. इस मौके पर सचिव जनगणना एवं पुनर्गठन चंद्रेश यादव ने बताया कि संभवतया माह अगस्त के बाद जनगणना शुरू की जाएगी. बता दें कि 2021 में कोरोना के चलते जनगणना नहीं हो पाई थी. तभी से दो वर्ष से जनगणना स्थगित चल रही है.
2011 में उत्तराखंड की जनसंख्या इतनी थी: 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड की कुल आबादी तब 10,086,292 (1 करोड़ 86 हजार 292) थी. 2011 की जनगणना में पुरुषों की जनसंख्या 5,138,203 (51 लाख 38 हजार 203) थी. तब महिलाओं की जनसंख्या 4,948,089 (49 लाख 48 हजार 89) थी. 2011 की जनणना के अनुसार उत्तराखंड में लिंग अनुपात 963 था. बच्चों का लिंगानुपात 890 था. जनगणना 2011 में उत्तराखंड की साक्षरता दर 78.82 प्रतिशत थी.
2022 में उत्तराखंड की जनसंख्या का अनुमान: 2022 की उत्तराखंड की अनुमानित जनसंख्या 11,700,099 (1 करोड़ 17 लाख 99) आंकी जा रही है. 2022 में उत्तराखंड में पुरुषों की अनुमानित जनसंख्या 5,960,315 (59 लाख 60 हजार 315) आंकी जा रही है. इसके सापेक्ष 2022 में उत्तराखंड में महिलाओं की अनुमानित जनसंख्या 5,739,784 (57 लाख 39 हजार 784) आंका जा रही है. लिंगानुपात जागरूकता के लिए रेखा आर्य ने की कांवड़ यात्रा: उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने प्रदेश में लिंगानुपात को समान करने के लिए शिवरात्रि के शुभ अवसर से एक अभियान शुरू किया था. मंत्री रेखा आर्य ने 26 जुलाई को हरकी पैड़ी से मां गंगा के पूजन और साधु संतों के आशीर्वाद साथ यह अभियान शुरू किया था. 'देवियों की भूमि' स्लोगन के साथ शुरू किए गए अभियान में हर की पैड़ी से गंगाजल भरकर मंत्री रेखा आर्य ने कांवड़ियों के साथ करीब 25 किमी पैदल यात्रा की थी. जिसके बाद करीब 1300 वर्ष पुराने अंतिम पड़ाव वीरभद्र मंदिर रेखा आर्य ने भगवान शिव को जलाभिषेक के साथ संकल्प लिया था. मंत्री रेखा आर्य को विश्वास है कि इससे उत्तराखंड की रजत जयंती पर प्रदेश में लिंगानुपात समान होगा और देवियों की भूमि से एक संकीर्ण मानसिकता का विनाश होगा.
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