उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन: प्रणेता स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर UKD ने दी श्रद्धांजलि

Gulabi Jagat
24 Dec 2022 3:22 PM GMT
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन: प्रणेता स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर UKD ने दी श्रद्धांजलि
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उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन
उत्तराखण्ड क्रांति दल महानगर कण्व नगरी कोटद्वार द्वारा उत्तराखण्ड के गांधी, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के प्रणेता स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी की 98 जयंती जग देई मंदिर, मवा कोट से उत्तराखण्ड जागरण रथ यात्रा पूजा अर्चना कर और स्वर्गीय बडोनी जी को पुष्प सुमन तथा माला अर्पित करने के बाद आरंभ की गई। उत्तराखण्ड जागरण यात्रा मवा कोट, नंदपुर, पदमपुर, कलालघाटी, किशनपुर, झंडी चौड़ मोटा ढाक, दुर्गापुरी, निंबूचौड़, देवी मंदिर, स्टेशन रोड, लाल पानी, कुंभी चौड़, ग्रास्टन गंज होते हुए प्रसिद्ध सिद्धबली मंदिर पहुंची और वहां पर रथ यात्रा का समापन किया गया। उत्तराखण्ड रथ यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों में नुक्कड़ सभाओं का भी आयोजन किया गया।
स्वर्गीय बडोनी जी के 98 जयंती के अवसर पर उत्तराखण्ड रथयात्रा का शुभारंभ करते हुए उत्तराखण्ड क्रांति दल के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ शक्ति शैल कपरवाण ने कहा कि स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी के विचारों और परिकल्पना के आधार पर ही उत्तराखण्ड का बहुमुखी विकास हो सकता है। परंतु उत्तराखण्ड की राष्ट्रीय पार्टियों की सरकारों ने स्वर्गीय बडोनी के परिकल्पना और विचारों को किनारे रखकर कार्यक्रम किए गए। जिससे विकास की मूल अवधारणा ही समाप्त हो गई और उत्तराखण्ड में अपराध, भ्रष्टाचार और माफिया तंत्र का राज हो गया। जिससे उत्तराखण्ड की जनता बहुत पीड़ित है। डॉक्टर कपरवाण ने कहा कि उत्तराखण्ड क्रांति दल बडोनी जी के संघर्ष का सम्मान करते हुए, उनकी परिकल्पना को विकास के रूप में साकार करने के लिए संघर्ष कर रहा है और करता रहेगा। उन्होंने कहा यदि उत्तराखण्ड क्रांति दल की सरकार भविष्य में आई तो बडोनी जी के विचारों को विकास के रूप में र्कायान्वयन किया जाएगा। जिससे उत्तराखण्ड का बहुमुखी विकास होगा।
डॉक्टर कपरवाण ने कहा कि राज्य बनने के बाद आज तक भी सरकार ने भू कानून नहीं बनाया, जिससे भू माफिया तंत्र विकसित हुआ है ।इसलिए हम जनता से अनुरोध कर रहे हैं कि राष्ट्रीय पार्टियों को त्याग कर क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखण्ड क्रांति दल को सहयोग करें। ताकि स्वर्गीय बडोनी जी के विचारों को क्रियान्वित कर हम उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि दे सकें। केंद्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी का अपमान करती आ रही है। एक तरफ तो उनके जन्मदिवस को सांस्कृतिक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है और कॉलेजों विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर उनकी जन्मतिथि पर ही महाविद्यालयों में छात्र संघ का चुनाव की तिथि और गणना की तिथि निर्धारित कर दी है। जिससे किसी भी महाविद्यालय में स्वर्गीय बडोनी जी का जन्मदिवस नहीं मनाया गया। यह सरकार का निन्दनीय कार्य है। उत्तराखण्ड क्रांति दल के महानगर अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक जग दीपक सिंह रावत ने कहा बडोनी जी का हमेशा यह दिशा निर्देश रहता था कि पार्टी को सबसे पहले ग्रासरूट्स स्तर पर संगठन का निर्माण करना चाहिए और ग्रास रूट स्तर की नगर पालिका, नगर निगम, पंचायतों के चुनावों में अपने को भाग लेकर सिद्ध करना चाहिए तब विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़ने चाहिए। उन्होंने कहा स्वयं श्री स्वर्गीय बडोनी पहले प्रधान निर्वाचित हुए ,फिर प्रमुख निर्वाचित हुए और उसके बाद विधायक बने।
इसलिए महानगर में यूकेडी का ग्रास रूट पर संगठन को मजबूत करने से स्वर्गीय बडोनी जी की कल्पना पूरी होगी। केंद्रीय संगठन मंत्री हरीश द्विवेदी ने कहा कि राज्य सरकार मूल निवास प्रमाण पत्र को लागू करने के लिए आदेश जारी करे। और स्थाई प्रमाणपत्र व्यवस्था को समाप्त करे। उन्होंने कहा जब तक मूल निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता सरकारी, गैर सरकारी नियुक्तियों में नहीं की जाती तब तक यहां के बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि बडोनी जी का संकल्प हर परिवार को नौजवान को, बेरोजगार को रोजगार देना था परंतु वर्तमान सरकारें बेरोजगारों को रोजगार देने में असफल रही हैं। राज्य आंदोलनकारी प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष पितृ शरण जोशी ने कहा अभी तक पहाड़ी क्षेत्र में उद्योगों के न लगने के कारण और वन कानूनों के कोप भाजन से पहाड़ के 2,000 गांवों में ताले लगे हैं। जोशी ने मांग की है कि वन कानूनों में संशोधन कर पहाड़ वासियों के जीवन और उनके पशुओं की, उनके फसलों की जंगली जानवरों से रक्षा की जाए। स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी के जयंती पर उत्तराखंड रथ यात्रा के संचालन में महानगर महामंत्री सर्वेंद्र काला, अनिल जोशी, सुरेश पटवाल, गुलाब सिंह रावत, संजू कश्यप, अंबर आदि सम्मिलित थे।
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