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उत्तराखंड न्यूज: विज्ञान की पढ़ाई में अंग्रेजी की बाध्यता को शिक्षा विभाग ने किया खत्म

Gulabi Jagat
10 Aug 2022 2:14 PM GMT
उत्तराखंड न्यूज: विज्ञान की पढ़ाई में अंग्रेजी की बाध्यता को शिक्षा विभाग ने किया खत्म
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उत्तराखंड न्यूज
देहरादून: कुछ समय पहले शिक्षा विभाग (Uttarakhand Education Department) ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया था. इस फैसले के तहत अंग्रेजी में विज्ञान की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में कराई जानी थी. अब शिक्षा विभाग ने इस मामले में यू-टर्न (U turn of Uttarakhand Education Department) ले लिया है. शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई को अंग्रेजी में ही कराए जाने की बाध्यता (compulsion of English in the study of science is over) को खत्म कर दी है.
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी (Education Director General Banshidhar Tiwari) ने सभी सीईओ को नई व्यवस्था लागू करने के आदेश दे दिए हैं. बकौल तिवारी, शासन से भी इसकी औपचारिक अनुमति ली जा रही है. कक्षा तीन से अंग्रेजी में विज्ञान की पढ़ाई शुरू करने का फैसला कुछ जल्दबाजी भरा भी रहा. सरकारी स्कूलों में पहली, दूसरी और कक्षा में भाषाई रूप से अपेक्षाकृत कमजोर रहने वाले छात्र-छात्रों पर अंग्रेजी का एकाएक बड़ा बोझ आ गया. शिक्षक भी इसे लेकर काफी असहज थे. विभिन्न स्तर पर यह मुद्दा उठने पर शिक्षा विभाग ने फीडबैक जुटाया. इसमें भी पाया गया कि विज्ञान को अंग्रेजी में पढ़ाने से व्यवहारिक कठिनाइयां आ रही हैं.
विज्ञान की पढ़ाई में अंग्रेजी की बाध्यता को शिक्षा विभाग ने किया खत्म.
हिंदी माध्यम से विज्ञान की पढ़ाई करने पर इंटरमीडिएट के बाद छात्रों को प्राइवेट स्कूल के छात्रों के साथ कड़ा मुकाबला करना पड़ता है. मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षाएं और उसके बाद उच्च शिक्षा में अंग्रेजी का ही बोलबाला है. ऐसे में सरकारी स्कूलों के छात्र अक्सर पिछड़ जाते हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया सैद्धांतिक रूप से भले ही मातृभाषा, स्थानीय भाषा की पैरवी की जाती है, लेकिन वास्तविकता में उच्च व तकनीकी शिक्षा में वर्चस्व अंग्रेजी का ही है. राज्य में वर्ष 2017 में सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन से लेकर 12 वीं तक विज्ञान की पढ़ाई को अंग्रेजी माध्यम से कर दिया गया था.
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि जैसे ही यह बात सामने आई की सिर्फ अंग्रेजी में पढ़ाई कराने पर बच्चों के सामने परेशानी खड़ी हो रही है उसके बाद हमने अब यह अनिवार्यता खत्म कर दी है. अब छात्र जिस भाषा में चाहे उसमें पढ़ाई कर सकते हैं.
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