उत्तराखंड
उत्तराखंड में पड़ोसी मुल्क नेपाल को जोड़ने वाला दूसरा मोटरपुल जल्द बनेगा
Ritisha Jaiswal
28 July 2022 11:53 AM GMT
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उत्तराखंड में पड़ोसी मुल्क नेपाल को जोड़ने वाला दूसरा मोटरपुल जल्द ही अस्तित्व में आएगा. भारत-नेपाल के बीच इस पुल के बनने से जहां दोनों देशों के बीच आवाजाही आसान होगी, वहीं बॉर्डर के इलाकों में कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी
उत्तराखंड में पड़ोसी मुल्क नेपाल को जोड़ने वाला दूसरा मोटरपुल जल्द ही अस्तित्व में आएगा. भारत-नेपाल के बीच इस पुल के बनने से जहां दोनों देशों के बीच आवाजाही आसान होगी, वहीं बॉर्डर के इलाकों में कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. पिथौरागढ़ के डीएम आशीष चौहान ने बताया कि नए पुल के लिए वित्तीय स्वीकृति मिल गई है. डीपीआर भी तैयार कर ली गई है. पुल निर्माण के लिए जल्द ही टैंडर डाला जाएगा. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने पर पुल का काम शुरू कर दिया जाएगा.
उत्तराखंड-नेपाल की 275 किलोमीटर की बॉर्डर सटा बॉर्डर काली नदी के किनारे मौजूद है. फिलहाल भारत और नेपाल के बीच सिर्फ बनबसा पुल से ही गाड़ियों की आवाजाही संभव है. हालांकि दोनों देशों के बीच इस बॉर्डर में पैदल सफर के लिए 7 झूलापुल मौजूद हैं, लेकिन अब दोनों मुल्कों के बीच आवाजाही को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जिसके तहत पिथौरागढ़ के छारछुम में एक मोटरपुल को अस्तित्व में लाने की कवायद काफी जोरों पर है.
110 मीटर लम्बा होगा नया पुल
छारछुम में बनने वाले टू-लेन मोटर पुल की लंबाई 110 मीटर होगी. पुल को बनाने का जिम्मा अस्कोट पीडब्ल्यूडी को दिया है. इस पुल को बनाने में 4 करोड़ 88 लाख की धनराशि खर्च होगी. पुल के बनने से बॉर्डर पर बसे इलाकों का कारोबार भी परवान चढ़ सकता है. 275 किलोमीटर के इंटरनेशनल बॉर्डर पर दोनों देशों की दर्जनों छोटी व्यापारिक मंडियां मौजूद हैं, लेकिन मोटरपुल नहीं होने दोनों मुल्कों के बीच व्यापार वो रफ्तार नहीं पकड़ पाता, जिसकी दरकार कारोबारियों को है.
दूरी कम होने पर माल भाड़े में होगी कमी
पिथौरागढ़ व्यापार संघ के जिलाध्यक्ष पवन जोशी का कहना है कि पुल बनने से दोनों मुल्कों के व्यापारियों को खासा लाभ मिलेगा. यही नहीं माल भाड़े में भी काफी कमी आएगी. भारत-नेपाल के बीच सदियों से रोटी और बेटी के रिश्ते हैं. ऐसे में अगर दोनों मुल्कों के बीच बेहतर आवाजाही से कारोबार बढ़ेगा तो बॉर्डर के इलाकों में रौनक भी लौटेगी, जिसका फायदा दोनों देशों को होगा. इसके साथ ही सुरक्षा बलों को भी आसानी होगी.
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