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मर्डर चाहे किसी भी प्रकार से क्यों न हुआ हो, पुलिस के लिए हमेशा चुनौती होता है और अगर मर्डर ब्लाइंड हो तो यकीन मानिए कि उसके खुलासे के लिए पुलिस टीम अपनी तरफ से The Best करते हुए शांत-भाव से लगातार दिन-रात एक करते हुए सफल खुलासे को प्रयासरत रहती है। इसी कारण अधिकतर मामलों में पुलिस को सफलता हासिल होती है।
कुछ महीने पहले दि0 13-06-22 को कुछ ऐसा ही घटित हुआ हरिद्वार के थाना सिड़कुल क्षेत्र में जब दिन के समय व्यस्त रहने वाले लेबर चौक पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने कंपनी से दिन की शिफ्ट पूरी कर वापस लौट रहे अमरोहा उ०प्र० निवासी युवक की चाकुओं से लगातार वार करते हुए हत्या कर दी। निश्चित ही इस ह्दय विदारक घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया और अगले ही पल सभी इसके खुलासे के लिए हरिद्वार पुलिस की तरफ विश्वास भरी निगाहों से देखने लगे।
हत्यारे की तलाश गुजरते दिनों के साथ पेचीदा होती जा रही थी क्योंकि मृतक के चाचा के मुताबिक उसकी न ही किसी से दुश्मनी थी और न ही उसके साथ लूट जैसी कोई घटना हुई थी।घटनास्थल के आस-पास कोई C.C.T.V. कैमरे का न होना भी कहीं न कहीं एक महत्वपूर्ण Factor था जो हत्यारे को पुलिस से दूरी बनाए रखने में सहायक हो रहा था।
इतने दिनों में पुलिस द्वारा मृतक से जुड़ी हजारों हजार छोटी-बड़ी सभी बातों/घटनाओं/स्थितियों को बारीकी से जांचा-परखा, उन पर काम किया, पर सफलता न मिली। तो वहीं दूसरी तरफ शोक में डूबे वादी पक्ष का लगातार पुलिस उच्चाधिकारीगण से संपर्क कर कहना-- "इतने दिन हो गए... सबके बीच हमारे बच्चे को... पुलिस अभी तक कैसे किसी नतीजे...इत्यादि..." इन सबके बीच SHO सिड़कुल प्रमोद उनियाल द्वारा उच्चाधिकारीगण के लगातार संपर्क में रहते हुए उलझ रहे सवालों को जब तरतीबवार रख दोबारा कुरेदना शुरु किया तो दो महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आए। पहला ये कि हत्यारा नि:संदेह मृतक का जानकार था क्योंकि मृतक का Night Shift से Day Shift में आना किसी नजदीकी को ही पता हो सकता था। दूसरा ये कि कातिल क्षेत्र से काफी अच्छे से वाकिफ था। इसलिए उसने Murder Spot वह चुना जहां सुनसान भी मिले और कैमरा भी न हो।
पेचीदगियों से भरी इस मर्डर की गुत्थी सुलझाने में जुटी सिड़कुल पुलिस के लिए CIU हरिद्वार की टीम द्वारा सौंपी गई मृतक के फोन नंबर की पूरी जानकारी भी काफी मददगार साबित हुई। शक के घेरे में आए रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों से सिलसिलेवार पूछताछ का सिलसिला शुरु हुआ तो उसी दौरान मृतक की कंपनी में साथ काम करने वाले सहकर्मी सुनील मिश्रा निवासी लखीमपुर खीरी से भी पूछताछ हुई पर किसी के खिलाफ कोई ठोस सबूत न होने के कारण किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।
चूंकि मृतक की किसी से दुश्मनी भी न थी और कोई बडा कारण भी ऐसा नही दिख रहा था कि... जिस कारण भी मामला सुलझ नहीं पा रहा था। नए सिरे से अब हर छोटी-छोटी बात पर गौर किया जाने लगा इन्हीं सबके बीच सिडकुल पुलिस के संज्ञान में आया कि मृतक द्वारा कुछ हजार रूपये उधार लिए गए थे जिसको मृतक नहीं चुका पा रहा था...ऐसी और भी कई कडियों को जोड़ते-जोड़ते पुनः मृतक की कंपनी में साथ काम करने वाले सहकर्मी सुनील मिश्रा निवासी लखीमपुर खीरी से पूछताछ हुई और वह टूट गया।
हत्या के आरोप स्वीकारते हुए अभियुक्त ने बताया कि उधार लेकर कड़ी मेहनत से कमाए गए ₹5000/- न लौटाने पर उसने अंकित की चाकू के ताबड़तोड़ प्रहार से हत्या कर दी। सिडकुल पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद कर हत्यारे को माननीय न्यायालय के आदेश पर जेल भेजा।
SHO सिडकुल के लगातार अपने लक्ष्य के प्रति ध्यान केंद्रित करने से उलझे हुए केस के "सफल तरीके से खुलासे पर" एक ओर जहां मृतक के दुःखी परिजनों को कुछ सांत्वना तो जरूर मिली होगी तो वहीं क्षेत्रीय जनता द्वारा भी सिडकुल पुलिस की सराहना की गई।
Gulabi Jagat
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