उत्तराखंड

मरी मां की आई याद, दुष्कर्म के आरोपी ने ऊंची छत से लगा दी छलांग

Gulabi Jagat
8 Sep 2022 5:00 AM GMT
मरी मां की आई याद, दुष्कर्म के आरोपी ने ऊंची छत से लगा दी छलांग
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दुष्कर्म के आरोप में तीन माह पहले जेल आए गौरव की मां का 19 दिन पहले देहांत हो गया था। आखिरी बार वह अपनी मां को न देख पाया और न ही अंतिम संस्कार में शामिल हो पाया। मां की याद ने गौरव को कसोटना शुरू किया तो उसने जेल की ऊंची दीवारें लांघने का फैसला कर लिया और इस बहती गंगा में उसके साथी कपिल और हरिओम ने भी हाथ धोना चाहा, लेकिन कोशिश नाकाम हो गई।
जेल अधीक्षक सतीश कुमार सुखीजा की पूछताछ में विडौरा मझौला नानकमत्ता निवासी गौरव पुत्र श्याल लाल शर्मा ने बताया कि वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। इसी वर्ष तीन जून को दुष्कर्म और पॉस्को के आरोप में जेल आए गौरव की मां का 19 दिन पहले देहांत हो गया। गौरव को मां की मौत की खबर जेल में मिली और वह तड़प कर रह गया। चाहकर भी वह अपनी मां का चेहरा आखिरी बार नहीं देख सका।
बताया जा रहा है कि मां की मौत के बाद वह जेल से भागने का जुगाड़ तलाशने में लग गया और बुधवार सुबह जब गौरव लकड़ी लेने भेजा गया तो भागने का मौका मिल गया। गौरव के साथ लकड़ी लेने गए कपिल और हरिओम यादव भी गौरव के साथ भागने को राजी हो गए, लेकिन असफल रहे। कपिल इसी वर्ष 25 जनवरी और हरीओम इसी वर्ष 18 जून से जेल में बंद हैं।
1808 बंदी और निगरानी के लिए सिर्फ 33 कर्मी
हल्द्वानी। हल्द्वानी उप कारागार की बंदी क्षमता 535 है। इन 535 बंदियों की निगरानी या सुरक्षा के लिए नियमानुसार 70 कर्मी होने चाहिए, लेकिन हैं सिर्फ 33 नियमित कर्मचारी। जबकि 25 कर्मचारी आउटसोर्स से लगाए हैं। इस 535 बंदी क्षमता वाली जेल में इस वक्त 1803 बंदी और सिर्फ 33 नियमित व 25 आउठसोर्स कर्मचारी इनकी निगरानी में हैं। ऐसे में सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं।
आंख में झोंकने को जेब में रखा था हल्दी पाउडर
हल्द्वानी। आरोपी युवक पिछले कई दिन से भागने की योजना बना रहे थे और तीनों को काम के लिए पाकशाला में लगाया गया था। भागने से पहले इन्होंने जेब में हल्दी पाउडर रख लिया था। ताकि अगर कोई रोकने आया तो उसकी आंख में हल्दी पाउडर झोंक सकें। शायद ये कामयाब भी हो जाते, अगर हरिओम नीचे नहीं गिरता और अन्य दोनों को बंदी शिवा ने छत पर चढ़े न देखा होता।
पहले भी हुई जेल की दीवार फांदने की कोशिश
हल्द्वानी। यह पहला मौका नहीं जब जेल से भागने की कोशिश की गई। पांच साल पहले भी एक बंदी ने नाकाम कोशिश की थी। जबकि वर्ष 2015 में सितारगंज की सम्पूर्णानंद शिविर खुली जेल से धारा 302 के सजायाफ्ता दो कैदी फरार हो गए थे। जेल अधीक्षक ने बताया, बुधवार को जिस स्थान से तीनों ने भागने की कोशिश की, वहां इलेक्ट्रिक तार-बाड़ नहीं है। अब वहां तार-बाड़ी की जाएगी।
घटना के पीछे उपनल कर्मी की लापरवाही उजागर
हल्द्वानी। जेल अधीक्षक सतीश कुमार सुखीजा ने बताया कि जिस स्थान से तीनों बंदी छत पर चढ़े, वहां उपनल कर्मी योगेश पांडे की ड्यूटी थी, लेकिन ड्यूटी के वक्त वह मौजूद नहीं था। इस मामले में नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। फिलहाल, योगेश की लापरवाही उजागर हुई है। चूंकि आरोपी कई दिन से रेकी कर रहे थे तो यह भी देखा जा रहा है कि क्या योगेश लेट आने का आदी था।
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