न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
जम्मू के पहलगाम में 16 अगस्त को आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) के जवानों की बस के खाई में गिरने से घायल सूबेदार मेजर नंदन सिंह चम्याल ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो परिजन बिलख उठे। उनके चारों बच्चे ताबूत से लिटपकर बस अपने पिता के लिए रोते रहे।
आईटीबीपी के सूबेदार मेजर नंदन सिंह ने श्रीनगर के अस्पताल में सोमवार रात को अंतिम सांस ली। सूबेदार मेजर के शव को देवीधुरा भेजने से पूर्व श्रीनगर में आईटीबीपी अधिकारियों ने सलामी दी। उनके शहीद होने की खबर मिलने के बाद ही देवीधुरा क्षेत्र में मातम छा गया।
देवीधुरा के पखोटी गांव के निवासी सूबेदार मेजर नंदन सिंह चम्याल (50) आईटीबीपी की चौथी बटालियन में अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे। डेढ़ महीने से उनकी ड्यूटी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में थी। अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी के बाद चंदनवाड़ी से पहलगाम जाते समय बस खाई में गिरने से छह जवानों की मौके पर ही मौत हो गई थी और 30 जवान जख्मी हुए थे।
इस हादसे में गंभीर रूप से घायल चम्याल का श्रीनगर में इलाज चल रहा था लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
वे अपने पीछे माता-पिता के अलावा दो पुत्र और दो बेटियों को छोड़ गए हैं।
सूबेदार मेजर नंदन सिंह चम्याल के बेटे और कुमाऊं छात्र महासंघ के महासचिव चेतन सिंह ने बताया कि सिर पर ज्यादा चोट लगने से दो दिन पहले उनका ऑपरेशन किया गया था।
सोमवार रात 11:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। घटना के बाद से परिवार में मातम छा गया।