देहरादून. उत्तराखंड सरकार जल्द ही नई फिल्म नीति लाने जा रही है. सूचना विभाग के तहत फिल्म विकास परिषद ने नई नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. विभाग ने इसे पब्लिक फोरम पर डाला है. लोगों और सभी स्टेक होल्डरों से इसमें सुझाव मांगे जा रहे हैं. फाइनल ड्राफ्टिंग के बाद इसे सरकार को सौंप दिया जाएगा. इस नीति का मकसद यही है कि कलाकारों के साथ ही फिल्म निर्माण में उत्तराखंड में निवेश करने वालों को रिझाया जा सके.
नई फिल्म नीति में निवेशकों से लेकर कलाकारों तक के प्रोत्साहन के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. दरअसल, उत्तराखंड में फिल्मों, वेब सीरीज़, टीवी सीरियलों की शूटिंग के लिहाज़ से बेहतरीन लोकेशनें होने के कारण राज्य फिल्म मेकरों की पहली पसंद बनता जा रहा है. यही कारण है कि हर साल उत्तराखंड में बनने वाली फिल्मों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले 6 सालों के आंकड़े देखें तो दस गुना का इज़ाफा साफ नज़र आ रहा है.
फिल्मों से राज्य में 100 करोड़ का निवेश
नतीजा यह हुआ कि यहां शूट होने वाली फिल्मों का आंकड़ा 2016 में 37, 2017 में 50, 2018 में 80, 2019 में 142, 2020 में 193 और 2021 में ये आंकड़ा 217 पर पहुंच गया. इससे राज्य सरकार को भी ज़बरदस्त फायदा हो रहा है. अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष अकेले फिल्म सेक्टर से ही उत्तराखंड में सौ करोड़ रुपया इनवेस्ट हो रहा है. इससे स्थानीय लोगों, कलाकारों को रोज़गार तो मिल ही रहा है, सरकार को भी जीएसटी के रूप में खासी आय हो रही है.फिल्म विकास परिषद के जॉइंट डायरेक्टर केएस चौहान कहते हैं कि उत्तराखंड में बेहतरीन डेस्टीनेशन तो हैं ही, यहां फिल्म मेकिंग के लिए फ्रेंडली माहौल भी है. 'हम कोशिश कर रहे हैं कि फिल्म मेकर्स को परमिशन आदि के लिए भटकना न पड़े. फिल्म सिटी का निर्माण भी प्रस्तावित है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसके लिए ज़मीन खोजी जा रही है. फिल्म सिटी बनने के बाद यहां बूम आने की संभावना है. फिल्म मेकर्स को एक ही जगह सारी सुविधाएं मिलेंगी.'
फिल्म विकास परिषद के जॉइंट डायरेक्टर केएस चौहान कहते हैं कि उत्तराखंड में बेहतरीन डेस्टीनेशन तो हैं ही, यहां फिल्म मेकिंग के लिए फ्रेंडली माहौल भी है. 'हम कोशिश कर रहे हैं कि फिल्म मेकर्स को परमिशन आदि के लिए भटकना न पड़े. फिल्म सिटी का निर्माण भी प्रस्तावित है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसके लिए ज़मीन खोजी जा रही है. फिल्म सिटी बनने के बाद यहां बूम आने की संभावना है. फिल्म मेकर्स को एक ही जगह सारी सुविधाएं मिलेंगी.'
नई फिल्म नीति में भी इसी के मद्देनज़र कई प्रावधान किए गए हैं. रीजनल फिल्मों को हिंदी फिल्म की तर्ज़ पर दो करोड़ रुपये सब्सिडी दी जाएगी. अभी तक हिंदी फिल्मों को उत्तराखंड में 75 प्रतिशत शूट पर ही सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन अब इसे बदल दिया गया है. अब आप जितने दिन भी शूट करेंगे, शूट के टोटल खर्चे पर सरकार 30 फीसदी सब्सिडी देगी. सब्सिडी दो करोड़ से अधिक नहीं होगी.
बंटी और बबली, केदारनाथ, बद्रीनाथ, स्टूडेंट ऑफ द इयर, पान सिंह तोमर, अम्ब्रेला, बत्ती गुल मीटर चालू, बाटला हाउस, अर्द्धांगिनी, अफसोस, दम लगाके हइशा, शिवाय आदि.
एड फिल्में : टाटा जेस्ट कार एड, नेक्सॉन, मारुति सुजुकी आर्टिका के साथ ही बॉर्नवीटा, नेसले, सिपला, रिलायंस डिजिटल, एयरटेल फोर जी, कार्बन मोबाइल, इनक्रेडिबल इंडिया आदि.
फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य एवं एक्टर सतीश शर्मा मानते हैं कि उत्तराखंड में फिल्म इंडस्ट्री का बहुत स्कोप है. उत्तराखंड की आर्थिकी तो मज़बूत होगी ही, स्थानीय कलाकारों के साथ लोगों को भी रोज़गार मिलेगा. मुंबई से तीन सौ लोगों की क्रू टीम लाने के बजाय फिल्म मेकर्स को उतराखंड में ही मैनपावर सप्लाई की जा सकती है. शर्मा इसके लिए माहौल बनाने को ज़रूरी मानते हैं.