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रुद्रपुर। शहर के द मेडिसिटी अस्पताल प्रबंधन एक बार फिर चर्चाओं में आ गया। न्यायालय ने एक शिकायतकर्ता की याचिका पर अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।
जिसके बाद पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन व चिकित्सकों के खिलाफ उपचार में लापरवाही बरतने के कारण मरीज की मौत होने पर रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता का आरोप था कि हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने गलत दवाईयां व गलत इंजेक्शन लगाया। जिसकी वजह से उसके भाई की मौत हुई है। जानकारी के अनुसार कुंज बिहारी कॉलोनी गदरपुर निवासी विकास कुमार ने बताया कि 23 जून 2022 को उनके भाई सुरेश कुमार के सीने में अचानक दर्द हुआ था। जिसके चलते भाई को सुबह आठ बजे उपचार के लिए मेडिसिटी अस्पताल ले जाया गया।
जहां मौजूद डॉक्टर रिजवान ने स्वास्थ्य परीक्षण किया और बताया कि भाई को हार्ट अटैक आया है। पूछने पर बताया कि अस्पताल में हार्ट अटैक का बेहतर उपचार होता है। वहीं चिकित्सक द्वारा डॉ. दीपक छावड़ा से बात की गई। मगर उसे पता चला कि अस्पताल में कोई भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है जिस पर उसने उपचार कराने से इंकार किया। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों की मिलीभगत के कारण उसके भाई का गलत तरीके से उपचार किया गया। जिससे उनकी हालत बिगड़ने लगी और कुछ देर बाद भाई की मौत हो गई। शिकायतकर्ता का आरोप था कि डॉक्टरों ने मना करने के बाद भी उसके भाई को गलत इंजेक्शन व दवाईयां दी।
जिससे उनकी मौत हो गई और बाद में मेडिसिटी अस्पताल के डॉ. रिजवान, ब्रजेश, गौतम व अन्य स्टॉफ के लोग आए और परिवार से अभद्रता करते हुए उसे अस्पताल से भाग जाने की धमकी देते रहे। मौके पर लोगों की भीड़ इकट्ठा होते देख सभी मौके से फरार हो गए। आरोप था कि इस संबंध में एसएसपी और कोतवाली पुलिस को लिखित शिकायती पत्र दिया गया। मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने न्यायालय में की शरण ली। न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस ने मेडिसिटी अस्पताल प्रबंधन, चिकित्सक और स्टाफ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 23 जून को सुरेश नाम का मरीज अस्पताल में आया था। जिसे हार्ट अटैक पड़ा था। तीमारदारों द्वारा जब आपातकालीन कक्ष लाया गया तो वहां मौजूद चिकित्सक एवं स्टाफ ने कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह पर उपचार शुरू किया। मगर उपचार के दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया। इसमें अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई लापरवाही नहीं बरती गई। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है। -धीरेंद्र मेहरा, प्रशासनिक अधिकारी, मेडिसिटी
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