उत्तराखंड में अनाथ और सड़कों पर बेसहारा घूम रहे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुनर्वास नीति का प्रस्ताव तैयार किया गया है। सरकार की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। जिसे राज्य स्थापना दिवस पर नौ नवंबर से लागू करने की तैयारी है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि सरकार स्ट्रीट चिल्ड्रन पुनर्वास नीति को लागू करने जा रही है। इसके प्रस्ताव को लगभग अंतिम रूप दिया जा चुका है। नीति को राज्य स्थापना दिवस नौ नवंबर से लागू कर दिया जाएगा।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास ने इस नीति का ड्राफ्ट बनाया है। नीति को अंतिम रूप देने के लिए सभी जिलों के जिलाधिकारियों एवं संबंधित अधिकारियों से सुझाव मांगे गए थे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सड़कों पर रहने वाले तीन तरह के बच्चे हैं। एक वह बच्चे हैं जो अकेले रहते हैं। दूसरे अपने माता पिता के साथ रहते हैं। तीसरे वह बच्चे हैं जो दिनभर सड़क पर रहते हैं और दिन ढलते ही मलिन बस्तियों में चले जाते हैं। इस तरह के बच्चे न स्कूल में हैं न परिवार में। खासतौर पर देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में इस तरह के बच्चे हैं। इन बच्चों के लिए नीति में आश्रय गृह बनाने की व्यवस्था की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, फिलहाल देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी में आश्रय गृह चल रहे हैं। जिन्हें आवश्यकता के हिसाब से बढ़ाया जाएगा।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar