पंडित दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत सरकार की ओर से मैदानी क्षेत्रों में होम स्टे के लिए 25 प्रतिशत या अधिकतम 7.50 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्रों में 50 प्रतिशत अधिकतम 15 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। अब सरकार इसमें कुछ बदलाव करने जा रही है।
पहाड़ों से पलायन रोकने और स्वरोजगार के लिए शुरू की गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना में शहरी क्षेत्रों के लिए सब्सिडी बंद हो सकती है। इसके लिए शासन स्तर पर योजना में संशोधन की कवायद चल रही है। सरकार की ओर से मैदानी व पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे संचालित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। शहरों में पर्यटकों को ठहरने के लिए पर्याप्त सुविधाएं होने से सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में ही होम स्टे को बढ़ावा देगी।
त्रिवेंद्र सरकार के समय में पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने और युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए होम स्टे योजना शुरू की थी। अब तक इस योजना के तहत 3964 होम स्टे पंजीकरण हो चुके हैं। इस योजना का मकसद देश दुनिया से आने वाले पर्यटकों को ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के साथ स्थानीय लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। सरकार की ओर से होम स्टे के लिए सब्सिडी दी जा रही है।
उत्तराखंड होटल एसोसिएशन ने भी सरकार को सुझाव दिया था कि शहरी क्षेत्रों के बजाय पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे को ज्यादा बढ़ावा दिया जाए। एसोसिएशन का तर्क है कि शहरी क्षेत्रों में पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधाएं है। पहाड़ों में पलायन रोकने और स्वरोजगार के लिए होम स्टे की सब्सिडी को दोगुना किया जाना चाहिए। इससे पर्यटकों को ग्रामीण क्षेत्रों में ठहरने की पर्याप्त सुविधा मिल सकेगी। अब सरकार शहरी क्षेत्रों में योजना में दी जाने वाली सब्सिडी को बंद की तैयारी कर रही है।
योजना में ये वित्तीय लाभ
पंडित दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत सरकार की ओर से मैदानी क्षेत्रों में होम स्टे के लिए 25 प्रतिशत या अधिकतम 7.50 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्रों में 50 प्रतिशत अधिकतम 15 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा पांच साल तक ब्याज दर में मैदानी क्षेत्रों में एक लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्रों में 1.50 रुपये दिए जा रहे हैं। पिछले चाल साल के भीतर प्रदेश में योजना के तहत 3964 होम स्टे का पंजीकरण किया गया।
योजना के पीछे सरकार का मकसद पहाड़ों से पलायन रोकना और स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। सरकार को शहरों के बजाय पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे को बढ़ावा देने पर फोकस करना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे के लिए दोगुनी सब्सिडी दी जानी चाहिए। सरकार को भी इस संबंध में सुझाव दिया गया। -संदीप साहनी, अध्यक्ष उत्तराखंड होटल एसोसिएशन
होटल एसोसिएशन की ओर से सरकार को पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे को बढ़ावा देने का सुझाव दिया गया था। इस पर योजना में बदलाव करने का विचार किया जा रहा है
प्रदेश में वर्षवार पंजीकृत होम स्टे की संख्या
वर्ष पंजीकृत होम स्टे
2018-19 965
2019-20 1262
2020-21 880
2021-22 857
कुल- 3964