उत्तराखंड

नैनीताल में लगभाफ 81 साल बाद पैडल रिक्शा हुई बंद

HARRY
9 Jun 2023 1:28 PM GMT
नैनीताल में लगभाफ  81 साल बाद पैडल रिक्शा हुई बंद
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नैनीताल में रिक्शा की सवारी कर चुके हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दिल्ली-NCR, यूपी सहित देश के अन्य राज्यों से उत्तराखंड घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों के हाथ अब मायूसी लगेगी। पिछले 81 सालों के पर्यटकों के सफर में साथ रहे पैडल रिक्शा की सवारी अब पर्यटक नहीं कर सकेंगे। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू से लेकर फिल्म और राजनीतिक दुनिया के कई दिग्गज नैनीताल में रिक्शा की सवारी कर चुके हैं।

नैनीताल शहर की माल रोड पर 81 साल से तल्लीताल से मल्लीताल के बीच चलने वाले पैडल रिक्शे हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। वर्ष 1942 में एक आना किराए से शुरू हुई रिक्शे की सवारी 20 रुपये तक पहुंचने के बाद बंद होने जा रही है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल में ट्रैफिक जाम की समस्या को देखते हुए दो हफ्ते के भीतर पैडल रिक्शा बंद करने का आदेश दिया है।

इनके स्थान पर 50 नए ई-रिक्शा उतारने को कहा है। यों तो नैनीताल में मानव श्रम से सवारियों को ढोना का इतिहास 176 साल पुराना है। अंग्रेजों ने 1846 में नैनीताल में पर्यटन की शुरुआत की। पहाड़ी इलाका होने से यहां सामान ढोने के लिए कुली जबकि आवागमन के लिए घोड़े हांडी की शुरुआत हुई।

नैनीताल की तीन किमी लंबी माल रोड पर सवारियों को तल्लीताल से मल्लीताल तक ले जाने के लिए 1858 में झंपानी की शुरुआत की। इसे हाथ रिक्शा, राम रथ, विलियम एंड बरेली टाइप भी कहा जाता था। प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. अजय रावत के मुताबिक इसके बाद नैनीताल में 1941 तक नैनीताल में हाथ रिक्शा ही चलता रहा।

अंग्रेज अपने साथ साइकिल भारत में लाए, तो 1942 में हाथ रिक्शा के स्थान पर साइकिल रिक्शा यानि पैडल रिक्शा की शुरुआत हुई। उस समय अंग्रेज अधिकारी और उनके परिवार ही इसका इस्तेमाल करते थे।लगभग चार दशकों से रिक्शा यूनियन से जुड़े और वर्तमान में व्यवस्थापक की जिम्मेदारी निभा रहे नंदा बल्लभ जोशी के अनुसार देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू से लेकर फिल्म और राजनीतिक दुनिया के कई दिग्गज नैनीताल में रिक्शा की सवारी कर चुके हैं। नैनीताल आकर नैनीझील के किनारे रिक्शे की सवारी करने का अपना अलग आनंद होता है। प्रो. रावत बताते हैं कि उत्तरप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत नैनीताल माल रोड पर घुड़सवारी की किया करते थे।

1966 में इस किराए को चार आना किया गया, जो आज 20 रुपया प्रति रिक्शा पहुंच गया है। पर 1970 के दशक तक भी नैनीताल में हाथ रिक्शा का चलन रहा। प्रो. रावत के मुताबिक नैनीताल में हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे की सीट, पायदान सब आरामदायक थे। रिक्शा में बारिश से बचने के लिए छतरी नुमा हुड लगे रहते थे। हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे के अलावा उस वक्त डांडी और घोड़े प्रचलित थे। माल रोड में बिना अनुमति के कोई रिक्शा या घोड़े नहीं चल सकते थे। इसके लिए लाइसेंस बनवाना पड़ता था।

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