उत्तराखंड

मेलों में शुमार मां नंदा-सुनंदा का मेला नैनीताल में इस साल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा

Ritisha Jaiswal
23 Aug 2022 2:25 PM GMT
मेलों में शुमार मां नंदा-सुनंदा का मेला नैनीताल में इस साल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा
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उत्तराखंड के प्रमुख मेलों में शुमार मां नंदा-सुनंदा का मेला नैनीताल (Nanda Devi Mela Nainital) में इस साल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा.

उत्तराखंड के प्रमुख मेलों में शुमार मां नंदा-सुनंदा का मेला नैनीताल (Nanda Devi Mela Nainital) में इस साल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. पिछले दो वर्षों में कोरोना के चलते मेले का आयोजन भव्य रूप से नहीं हो पाया था. हालांकि इस साल बिना किसी भी प्रतिबंध के मेले का आनंद लिया जा सकेगा. आने वाले सितंबर महीने की 1 तारीख से 7 तारीख तक इस महोत्सव का आयोजन होना है, जिसके लिए तैयारियां भी जोरों-शोरों से चल रही हैं.

1 सितंबर को इस भव्य महोत्सव का उद्घाटन किया जाएगा, जिसके अगले दिन ज्योलीकोट के भल्यूटी गांव से केले के पेड़ लाए जाएंगे और मां नंदा और सुनंदा की मूर्ति का निर्माण होगा. 4 सितंबर यानी अष्टमी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में मूर्ति की स्थापना होगी. इस दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होंगे और भक्त मां नंदा सुनंदा के दर्शन कर सकेंगे. नवमी के दिन (5 सितंबर) भंडारे का आयोजन होगा. 7 सितंबर को पूरे नगर में डोला भ्रमण कराया जाएगा और ठंडी सड़क स्थित पाषाण देवी मंदिर के समीप डोले को विसर्जित किया जाएगा.
राम सेवक सभा के वरिष्ठ कार्यकर्ता ललित तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड की कुलदेवी और उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के रूप में नंदा सुनंदा महोत्सव हर साल आयोजित किया जाता है. इस मेले में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसमें उत्तराखंड की संस्कृति भी झलकती है.
ललित तिवारी ने बताया कि वैसे तो नंदा सुनंदा मेले की शुरुआत अल्मोड़ा जिले से हुई थी, लेकिन नैनीताल में साल 1903 में पहली बार यह महोत्सव मनाया गया था. साल 1918 में श्री राम सेवक सभा की स्थापना हुई थी. 1926 से नैनीताल राम सेवक सभा ने नंदा देवी महोत्सव का आयोजन शुरू किया, जो वर्तमान तक हर साल मनाया जाता है. कुमाऊंनी और उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने के प्रयासों में राम सेवक सभा लगातार कोशिशों में लगा है. नंदा देवी जैसे बड़े महोत्सव में यहां पहाड़ के पर्यावरण, यहां की परंपरा और यहां की लोक कला को संरक्षित करने का भी प्रयास किया जाता है.


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