उत्तराखंड
भूस्खलन से नहीं जाएगी जान, पढ़ें क्या है सरकार का प्लान?
Gulabi Jagat
28 July 2022 10:01 AM GMT
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पढ़ें क्या है सरकार का प्लान?
उत्तराखंड में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की स्थापना होगी। यह केंद्र भूस्खलन की भविष्यवाणी का तंत्र विकसित करने के साथ ही भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के ट्रीटमेंट का काम करेगा। मुख्य सचिव डा. संधु ने बताया कि राज्य में लम्बे समय से आपदा और भूस्खलन की घटनाएं घट रही हैं और हर साल इस वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही है। इसके मद्देनजर कैबिनेट ने इस सेंटर को मंजूरी देने का निर्णय लिया है।
स्टडी सेंटर के ढांचे में 75 पद होंगे, जिसमें महानिदेशक से लेकर कई अन्य अहम पदों को मंजूरी दी गई है। इसमें ज्यादातर पद तकनीकी विशेषज्ञों व वैज्ञानिक के होंगे। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव इस सेंटर के महानिदेशक होंगे। मुख्य सचिव होंगे केंद्र के अध्यक्ष: उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र का गठन सोसायटी अधिनियम के तहत होगा और यह एक जनरल बॉडी होगी।
जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। जबकि प्रमुख सचिव आपदा प्रबंधन इसके उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण प्राधिकरण को सदस्य सचिव नामित किया जाएगा। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग, वित्त, वन एवं पर्यावरण, शहरी विकास, ऊर्जा, सिंचाई, राजस्व, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के विशेषज्ञ, सलाहाकार के साथ ही कई संस्थाओं के कुल 15 सदस्य इसमें शामिल किए।
भूस्खलन निगरानी तंत्र बनेगा, मानचित्रीकरण भी होगा
इस केंद्र का मुख्य कार्य राज्य के अलग अलग क्षेत्रों में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के लिए व्यापक सर्वे करना और उसका विस्तृत मानचित्र तैयार करना है। इसके आधार पर राज्य में आपदा से निपटने की पूर्व चेतावनी प्रणाली तैयार की जानी है। इसके साथ ही जागरुकता, पर्वतीय क्षेत्रों में विकास कार्य से पहले विव्तृत अध्ययन आदि का काम करेगा। इस केंद्र के विशेषज्ञ राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में जमीनों की ढ़लान आदि का भी अध्ययन कर रिपोर्ट देंगे।
भूस्खलन का डेटाबैंक बनेगा, जोन तय होंगे
इस केंद्र का जिम्मा राज्य में अभी तक हुए भूस्खलन की घटनाओं का डेटा बैंक तैयार करना भी होगा। इन घटनाओं का अध्ययन करने के बाद अन्य क्षेत्रों की पहचान करने का कार्य किया जाएगा। इसके आधार पर राज्य में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का चार्ज तैयार होगा और उसी के आधार पर निर्माण कार्य व परियोजनाओं को लेकर भी निर्णय लिए जाएंगे।
इसके आधार पर राज्य में भूस्खलन जोन भी चिह्नित किए जाएंगे। इसके साथ ही यह केंद्र भूस्खलन को पैदा करने वाले कारकों की पड़ताल पर उनकी पहचान भी करेगा। भूस्खलन और भूकंप के आंतरिक संबंधों का भी इस सेंटर की ओर से अध्ययन किया जाएगा। डाटा बैंक भी तैयार होगा।
Source: Live Hindustan
Gulabi Jagat
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