अशासकीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर टिप्पणी और समीक्षा के फैसले पर उठे विवाद के बीच आज महानिदेशक-शिक्षा बंधीधर तिवारी ने अपना स्टैंड साफ कर दिया। बकौल, महानिदेशक समीक्षा सभी स्कूलों की होगी। चाहे वह राजकीय हो या फिर अशासकीय। और रही बात टिप्पणी की तो शब्दों के जाल में उलझने के बजाए शिक्षा में सुधार के लिए सकारात्मक तरीके से काम करने पर विचार करना होगा।
25 जुलाई को शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने सभी सीईओ को पत्र जारी करने अशासकीय स्कूलों की नियमित समीक्षा करने के आदेश दिए हैं। इस पत्र में निदेशक की ओर से स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र संख्या पर चिंता जताते हुए गंभीर टिप्पणी भी की गई है। अशासकीय स्कूलों के प्रधानाचार्य और शिक्षक इससे खफा है।
वो महानिदेशक से निदेशक के पत्र को वापस कराने की मांग कर रहे हैं। महानिदेशक ने कहा कि सरकारी, अशासकीय और प्राइवेट सभी स्कूलों को एकमात्र लक्ष्य राज्य के नौनिहालों को भविष्य उज्जवल बनाना है। शिक्षक देश के भविष्य निर्माता हैं। इसलिए छोटी बातों में न उलझकर एकजुट होकर इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करना चाहिए।
दूसरी तरफ, बेसिक और जूनियर अशासकीय स्कूलों की समीक्षा का शिड्यूल तय कर दिया गया है। दो अगस्त को अल्मोड़ा, तीन को बागेश्वर, चंपावत, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चार अगस्त को चमोली, पांच अगस्त को देहरादून, छह को हरिद्वार, आठ अगस्त को नैनीताल, 16 अगस्त को पौड़ी, 17 को रुद्रप्रयाग, 19 को टिहरी और 20 अगस्त को यूसएनगर के स्कूलो की प्रथम चरण की समीक्षा होगी।