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धरतीपुत्रो को मुआवजा दिए जाने की मांग उठने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही।
गरमपानी। कोसी तथा कुंजगढ़ घाटी के किसान विभिन्न दालों की उपज खराब होने से एक बार फिर मायूस हो गए हैं। बीते दिनों हुई बारिश किसानों के लिए आफत बनकर बरसी। लगातार नुकसान से अब किसानों का खेतीबाड़ी से ही मोहभंग होने लगा है। सरकार की अनदेखी किसानों के ज़ख्म को और हरा कर दे रही है। लगातार धरतीपुत्रो को मुआवजा दिए जाने की मांग उठने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही।
कोरोनाकाल से ही कोसी व कुंजगढ़ घाटी के धरतीपुत्र नुकसान की मार झेल रहे हैं। कोरोनाकाल के बाद बीते वर्ष अक्टूबर की आपदा ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया। सब कुछ ठिक होने की उम्मीद के साथ किसानों ने हाड़तोड़ मेहनत के साथ एक बार फिर खेतीबाड़ी की ओर रुख किया। मंहगे दामों पर बीज खरीद गहत, मास, भट्ट, लोभिया आदि दालों की बुआई की पर एक बार फिर किसानों की किस्मत साथ छोड़ गई। बीते दिनों लगातार हुई बारिश ने दालों की उपज खराब कर दी। किसानों को भारी नुकसान उठाना पडा़ है।
कोसी घाटी के प्रगतिशील किसान बिशन जंतवाल के अनुसार दालों की उपज खराब होने से काफि नुकसान हुआ है। बेहद कम मात्रा में उपज बची है। कुंजगढ़ घाटी के किसान सुनील मेहरा के अनुसार लगातार नुकसान से अब आर्थिकी बिगड़ती जा रही है। खेतीबाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है। ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव शेखर दानी ने आरोप लगाया है की किसान नुकसान से जूझ रहे पर सरकार सुध ही नहीं ले रही। प्रदेश सचिव ने किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग दोहराई है।
सोर्स अमृत विचार
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