उत्तराखंड
रामपुर तिराहा कांड मामले में उत्तराखंड HC द्वारा आरोपियों को नोटिस जारी कर आंदोलनकारियों के लिए न्याय की जगी उम्मीद
Gulabi Jagat
24 Aug 2022 6:03 AM GMT
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देहरादूनः उत्तराखंड राज्य आंदोलन मांग के तहत 2 अक्टूबर 1994 को यूपी के मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड (Muzaffarnagar Rampur Tiraha incident) बर्बरता मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) द्वारा तत्कालीन मुजफ्फरनगर डीएम, देहरादून सीबीआई और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के मामले में अब राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो चुकी है. उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का आरोप है कि राज्य में चाहे भाजपा या कांग्रेस की सरकार रही हो, लेकिन दोनों ही सरकारों के कार्यकाल में 1994 रामपुर तिराहा कांड की बर्बरता को लेकर इंसाफ की लड़ाई सिर्फ राजनीति तक सीमित रही है.
राज्य आंदोलकारियों के अस्मिता से जुड़े इस विषय में भाजपा और कांग्रेस ने आज तक कोर्ट में मजबूत पैरवी नहीं की. इस कारण राज्य आंदोलनकारियों को अब तक रामपुर तिराहा कांड के इंसाफ की टीस सता रही है. वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती के मुताबिक, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि जिन लोगों ने उत्तराखंड राज्य को बनाने के लिए सरेआम गोलियां खाई और 1994 रामपुर तिराहा के दौरान माताओं, बहनों ने बर्बरता पूर्वक अपनी इज्जत गंवाईं, उन लोगों की लड़ाई को भाजपा और कांग्रेस ने सिर्फ राजनीति तक ही सीमित रखा.
HC के नोटिस से आंदोलनकारियों में जगी इंसाफ की उम्मीद.
आंदोलनकारियों को इंसाफ की उम्मीदः प्रदीप कुकरेती ने कहा कि आज भी आंदोलनकारी अपने हाईकोर्ट वकीलों के समूह के जरिए रामपुर तिराहा की लड़ाई लड़ रहे हैं. ऐसे में जो काम राज्य सरकार को करना था, वह कार्य हाईकोर्ट ने किया है. यह राहत भरा कदम आंदोलनकारियों के लिए एक बार फिर इंसाफ की उम्मीद लेकर आई है.
भाजपा-कांग्रेस की सरकारें रही उदासीनः वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी और भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने साफ लफ्जों में कहा कि सरकार चाहे जिस पार्टी की भी रही हो. दोनों ही सरकारों की उदासीनता रामपुर तिराहा कांड के कानूनी लड़ाई को लेकर रही है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं. जुगराज ने कहा कि जो काम राज्य सरकार को आंदोलनकारियों के अस्मिता के इंसाफ को दिलाने के लिए कोर्ट में मजबूत पैरवी के लिए करना चाहिए था. उसको हाईकोर्ट ने खुद आज संज्ञान लेते हुए तत्कालीन अधिकारियों और वर्तमान सरकार को नोटिस तलब कर जवाब दाखिल के लिए कहा है. हाईकोर्ट के इस राहत भरे कदम का राज्य आंदोलनकारी स्वागत करते हैं.
दोषियों को सजा से शहीदों को मिलेगी श्रद्धांजलिः रविंद्र जुगरान ने कहा कि वह खुद उत्तराखंड आंदोलन के पहले दिन से राज्य बनने तक कई बार अलग-अलग जेलों में बंद रहे. ऐसे में वह खुद इस दिल दहलाने देने वाली और बरबर्ता वाली पीड़ा से गुजर चुके हैं. उन्होंने कहा कि रामपुर तिराहा कांड को लेकर हाईकोर्ट ने जिस तरह से तत्कालीन डीएम सहित अन्य अधिकारियों और यूपी सरकार को नोटिस तलब कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इससे इस बात की उम्मीद जगी है कि आखिर कभी तो रामपुर तिराहा कांड के दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा. अगर ऐसा होता है तो उन माताओं, बहनों और बर्बरता के शिकार आंदोलनकारियों को उस दिन सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी.
ट्रिपल इंजन की सरकार भी नाकामः उधर दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता व राज्य आंदोलनकारी धीरेंद्र चौहान ने कहा कि जितनी दुर्गति भाजपा सरकार में राज्य आंदोलनकारी की हुई है, उतनी कभी नहीं हुई. आंदोलनकारियों के हित वाले विषयों के लिए भाजपा के मुख्यमंत्रियों के पास कभी समय ही नहीं रहा है. यही कारण है कि राज्य बनने से लेकर वर्तमान समय तक आंदोलनकारी सड़कों पर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं.
धीरेंद्र चौहान ने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से लगातार इस बात की मांग की गई कि 1994 मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड के लिए डे टू डे अदालत में सुनवाई हो. ताकि इस मामले में इंसाफ जल्द से से जल्द मिल सके. चौहान ने कहा कि आज केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ट्रिपल इंजन वाली भाजपा सरकार है. इसके बावजूद मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड को लेकर तीनों सरकारें उदासीन हैं. चौहान ने कहा कि कांग्रेस 2 अक्टूबर 2022 को देहरादून डेरा डालो अभियान के तहत राज्यपाल आवास का कूच करेंगे.
Gulabi Jagat
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