उत्तराखंड

प्रधानाध्यापिका ने ठेके पर रखी शिक्षिका

Gulabi Jagat
24 Sep 2022 11:23 AM GMT
प्रधानाध्यापिका ने ठेके पर रखी शिक्षिका
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बीते दिनों थलीसैण ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी में प्रभारी प्रधानाध्यापिका की ओर से ठेके पर शिक्षिका को रखने का एक मामला सामने आया था। जहां प्रधानाध्यापिका विद्यालय से नदारद मिली थी इतना ही नहीं प्रधानाध्यापिका ने अपने स्थान पर पढ़ाने के लिए 2500 रुपए मासिक पर एक लड़की को भी रखा हुआ था। जिसके बाद सीईओ द्वारा प्रधानाध्यापिका का वेतन रोक लगाते हुए स्पष्टीकरण तलब किया है। इसके साथ ही उन्हें खंड शिक्षा कार्यालय थलीसैंण अटैच कर दिया गया है।
वहीं, अब ऐसा ही एक मामला कोटद्वार से भी सामने आया है। जहां राजकीय प्राथमिक विद्यालय पनियाली तल्ली (काशीरामपुर) में प्रधानाध्यापिका ने विद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए एक शिक्षिका को ढाई हजार रुपये मासिक वेतन में रखा हुवा है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब बीते शुक्रवार को खंड शिक्षा अधिकारी दुगड्डा अयाजुद्दीन ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय पनियाली तल्ली (काशीरामपुर) का औचक निरीक्षण किया।
औचक निरीक्षण में इस बात का खुलासा हुआ कि प्रधानाध्यापिका कुसुमा राणा ने विद्यालय में अपनी जगह पर बच्चों को पढ़ाने लिए एक अन्य महिला को रखा गया है। यहां गीता रावत निवासी काशीरामपुर तल्ला बच्चों को पढ़ाती मिली। जांच में यह बात भी सामने आई कि वह तीन दिसंबर, 2021 से विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रही है और उसे प्रधानाध्यापिका की ओर से ढाई हजार रुपये मासिक पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा था। इस पर बीईओ ने अग्रिम आदेशों तक प्रधानाध्यापिका का वेतन रोकने के निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही विभागीय उच्चाधिकारियों को इस संबंध में सूचना दे दी है। मामले की रिपोर्ट मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी को भेजी है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वहीं इस संबंध में राजकीय प्राथमिक विद्यालय पनियाली तल्ली काशीरामपुर प्रधानाध्यापिका कुसुमा राणा का कहना है कि विद्यालय में 44 छात्र-छात्राएं हैं। दिसंबर, 2021 में विद्यालय वह अकेले संचालित कर रही थी। विद्यालय प्रबंधन समिति की संस्तुति पर सहायता के लिए एक महिला को सहयोग के लिए रखा गया था। वह खुद लगातार विद्यालय में उपस्थिति रहती हैं। ऐसे में बदले में नियुक्ति की बात निराधार है। शुक्रवार को जब बीईओ निरीक्षण के लिए विद्यालय में आए तो में विद्यालय में मौजूद थीं। उन्हें सारी वस्तु स्थिति बताई लेकिन उन्होंने एसएमसी (विद्यालय प्रबंधन समिति) के प्रस्ताव वाली बात को अनदेखा कर दिया।
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