न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
दवा कारोबार पर कोरोनाकाल के लॉकडाउन की सबसे अधिक मार पड़ी। चीन से दवाओं का कच्चा माल आना बंद हो गया था। लॉकडाउन हटा तो माल की आपूर्ति सामान्य हो गई। लेकिन तब डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं।
एक साल में कई जरूरी दवाओं के दाम दस फीसदी तक बढ़े हैं। दवा कंपनियों ने धीरे-धीरे करके दवाओं के दाम बढ़ाकर आम आदमी के जेब पर आर्थिक भार डाला है। इन में शुगर और बीपी की जैसी जरूरी दवा शामिल हैं। थायराइड की दवा की कीमत दोगुनी हो गई है।
सिडकुल दवा बनाने वाली कंपनियों का हब है। 300 से अधिक फार्मा कंपनियां हैं। दवा कारोबार पर कोरोनाकाल के लॉकडाउन की सबसे अधिक मार पड़ी। चीन से दवाओं का कच्चा माल आना बंद हो गया था। लॉकडाउन हटा तो माल की आपूर्ति सामान्य हो गई। लेकिन तब डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं। दवा कंपनियों के पास पहले कच्चा माल स्टॉक में था, जिससे कीमतें नहीं बढ़ाई गई। लेकिन अब स्टॉक खत्म होने के साथ कच्चा माल की उपलब्धता महंगी है। जिससे दवाओं की कीमतें बढ़ गई हैं।
ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं महंगी हो गई हैं। कोरोनाकाल में चीन से कच्चे माल की आपूर्ति बंद रही। अब स्थिति सामान्य तो हुई पर कीमत बढ़ गई। इससे दवाइयां महंगी हुई हैं।
- अमित गर्ग, प्रदेश महामंत्री, उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ
गत्ते की पेटी और प्लास्टिक बोतलों में दवाइयां आती हैं। गत्ता और प्लास्टिक भी महंगा हो गया। इसका असर दवाओं की कीमत पर पड़ा है।
- विवेक अग्रवाल, सदस्य, ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
मुख्य दवाओं के मूल्य
दवा का नाम पहले और अब
- डायपेड एम 2 - 210-230 (शुगर)
- लोरामफाइव 57-69 (बीपी)
- मेटकोड 200 -153-169 (एंटीबायोटिक्स)
- सेट्रेअमराकजॉल 57-69 (एलर्जी)
- एलट्रक्सिन 80-172 (थायराइड)