न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
भारतीय वन सर्वेक्षण के विज्ञानियों के सर्वे रिपोर्ट में जनजातीय बहुल जिलों के आरक्षित वन क्षेत्र घटने के बात सामने आई है। 2019 में हुए सर्वे के मुताबिक, जहां देश के 218 जनजातीय बहुल इलाकों में आरक्षित वन क्षेत्र 3,15,158 वर्ग किमी हैं। वहीं, 2021 में हुए सर्वे में घटकर 3,14,503 वर्ग किमी हो गया।
जलवायु परिवर्तन के चलते जहां भारत समेत दुनिया के कई देशों में जंगल तेजी से घट रहे, वहीं भारतीय वन सर्वेक्षण के विज्ञानियों के सर्वे में ये बात सामने आई कि देश के 26 राज्यों में 218 जनजातीय बहुल जिलों में वन क्षेत्रफल साल दर साल घट रहा है। सर्वे के मुताबिक, जनजातीय बहुल जिलों के आरक्षित वन क्षेत्र में जहां 655 वर्ग किमी क्षेत्रफल घटा है।
वहीं आरक्षित वन क्षेत्रों के बाहर से छह सौ वर्ग किमी क्षेत्रफल में बढ़ोतरी भी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, मध्य प्रदेश समेत ग्यारह 11 ऐसे राज्य हैं, जहां जनजातीय जिलों में क्षेत्रफल में कमी आई है। भारतीय वन सर्वेक्षण की ओर से तैयार इंडिया स्टेट आफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, 2019 में हुए सर्वे के मुताबिक, जहां देश के 218 जनजातीय बहुल इलाकों में आरक्षित वन क्षेत्र 3,15,158 वर्ग किमी हैं।
वहीं, 2021 में हुए सर्वे में घटकर 3,14,503 वर्ग किमी हो गया। ऐसे में आरक्षित वन क्षेत्रों में 655 वर्ग किमी क्षेत्रफल में कमी आई, लेकिन सुकून देने वाली बात यह है कि आरक्षित वन क्षेत्रों से बाहर जंगलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2019 में हुए सर्वे में जहां आरक्षित वनों के बाहर 1,07,193 वर्ग किमी में वन थे, वहीं साल 2021 में हुए सर्वे में बढ़कर 1,07,593 वर्ग किमी हो गया। ऐसे में छह सौ वर्ग किमी वन क्षेत्रफल में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
हिमाचल, एमपी, मणिपुर, मिजोरम में घटे वन
भारतीय वन सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक, जनजातीय बहुल जिन राज्यों में आरक्षित वन क्षेत्रों में जंगलों में कमी आई है, उसमें अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गाजीपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। अरुणाचल प्रदेश में 257 वर्ग किमी, मध्य प्रदेश में 101 वर्ग किमी, मणिपुर में 249 वर्ग किमी, मिजोरम में 189 वर्ग किमी और नागालैंड में 235 किमी क्षेत्रफल में वन क्षेत्रफल घटा है।
चार राज्यों में वनों की स्थित कमोबेश ठीक
जहां एक ओर देश के कई जनजातीय बहुल राज्यों में वनों के क्षेत्रफल में कमी आई, वहीं आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों में अभी स्थिति सामान्य है और जनजातीय बहुल जिलों में आरक्षित वन क्षेत्रों में वनों में कमी नहीं दर्ज की गई है।
देश के जनजातीय बहुल राज्यों में जनजातियों का जीवन काफी कुछ वनों पर आश्रित रहता है, जिससे जनजातीय बहुल जिलों में वनों के क्षेत्रफल में कमी हो रही है। हालांकि, इसे रोकने को लेकर केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ ही संबंधित राज्यों के वन विभाग की ओर से कदम भी उठाए गए, जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए है। -