न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण में पेड़ों के कटान को लेकर सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। आखिरकार सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई र्हुई। बताया कि अभी तक 480 यूकेलिप्टस के पेड़ काटे गए, जबकि 295 ट्रांसप्लांट किया गया।
सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण को लेकर पेड़ों के कटान पर हाईकोर्ट की ओर से रोक लगाने के बाद काटन और ट्रांसप्लांटेशन का काम रोक दिया गया है। उधर, कोर्ट के फैसले के बाद पर्यावरणविदों, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने खुशी जताई है।
याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद् आशीष गर्ग ने बताया कि सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण में पेड़ों के कटान को लेकर सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आखिरकार सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई र्हुई। बताया कि अभी तक 480 यूकेलिप्टस के पेड़ काटे गए, जबकि 295 ट्रांसप्लांट किया गया।
कहा कि कोर्ट ने फिलहाल पीडब्ल्यूडी और वन विकास निगम की ओर से काटे जा रहे पेड़ों के कटान पर रोक लगा दी है। बताया कि 17 अगस्त को दोबारा सुनवाई होगी। कहा कि फिलहाल कोर्ट के फैसले से राहत मिली है और पेड़ों की जिंदगी को बचाया जा सकेगा। कहा कि जिन पेड़ों को काटा जा रहा, उन्हें काटने की जरूरत ही नहीं है।
बगैर पेड़ों को काटे ही चौड़ीकरण किया जा सकता है। कहा कि मसूरी और सहस्रधारा के लिए वैकल्पिक मार्ग भी बनाया जा सकता है। सहस्रधारा में चौड़ीकरण का तमाम पर्यावरणविद और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता लगातार पिछले एक साल से विरोध कर रहे हैं।
उधर, सांस्कृतिक संस्था धाद के महासचिव तन्यम मंमगाई का कहना है कि पेड़ों के कटान पर स्थगनादेश सही कदम है। अगर पेड़ों को लगाने के आयोजन के लिए समाज से अपील की जाती है, तो पेड़ों के कटान के लिए भी समाज की सहमति के लिए विमर्श होने चाहिए।