उत्तराखंड

CM Dhami ने किया 50वां खलंगा मेला स्मारिका का विमोचन, समिति को 5 लाख रुपए देने की घोषणा

Tara Tandi
1 Dec 2024 1:55 PM GMT
CM Dhami ने किया 50वां खलंगा मेला स्मारिका का विमोचन, समिति को 5 लाख रुपए देने की घोषणा
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Dehradun देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को देहरादून में बलभद्र खलंगा विकास समिति द्वारा आयोजित ’50वां खलंगा मेला’ में शामिल हुए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने खलंगा मेला आयोजन समिति को 5 लाख देने की घोषणा की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ’50वां खलंगा मेला स्मारिका’ का विमोचन भी किया.
पूर्वजों के साहस को स्मरण करने का अवसर है खलंगा मेला : CM
सीएम धामी ने अपने संबोधन में कहा कि खलंगा मेला पूर्वजों की वीरता और अदम्य साहस को स्मरण करने का अवसर है. उन्होंने सेनानायक कुंवर बलभद्र थापा और उनके वीर साथियों, वीरांगनाओं को भी नमन किया. सीएम ने कहा कि खलंगा की वीरभूमि में साल 1814 के एंग्लो-गोरखा युद्ध में सेनानायक कुंवर बलभद्र थापा और उनके वीर सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. इस युद्ध में कुंवर बलभद्र थापा और उनके वीर सैनिकों ने ब्रिटिश सैनिकों की विशाल सेना का सामना करते हुए अपनी वीरता और रणनीतिक कौशल से ब्रिटिश सेना को खदेड़ दिया था.
मेले को बताया अगली पीढ़ी तक सांस्कृतिक परंपरा पहुंचाने का माध्यम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ये युद्ध हमारे वीर गोरखा योद्धाओं के अदम्य साहस और मातृभूमि के प्रति उनके असीम प्रेम का प्रतीक है, जो हमेशा हमें देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा. खलंगा की गाथा हमारे वीर पूर्वजों के साहस एवं हमारी गौरवशाली विरासत का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि ये मेला हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजते हुए उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का भी एक माध्यम है. हमारे देश की ऐतिहासिक धरोहरें हमारे गौरवमयी अतीत की पहचान होने के साथ हमारे संस्कृति रूपी वट वृक्ष की मजबूत जड़ें भी हैं.
पूर्वजों के बलिदान को याद रखने में सहायक होंगे ऐसे आयोजन
सीएम धामी ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी संस्कृति को मजबूत करने का कार्य पूरे देश में किया जा रहा है. पीएम के नेतृत्व में विकास के साथ विरासत को भी आगे बढ़ाया जा रहा है. खलंगा युद्ध स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में रखना, इसका बड़ा उदाहरण है. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार गोरखा समाज के उत्थान के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है. निश्चित ही ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को इन गोरखा समाज की परंपराओं को संजोये रखने और अपने पूर्वजों की वीरता और बलिदान को याद रखने में सहायक सिद्ध होंगे.
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