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उत्तराखंड | अंकिता भंडारी की बरसी पर धाद संस्था की ओर से आयोजित अंकिता एक ज्योति संवाद सत्र में महिला सुरक्षा पर मंथन किया गया. वक्ताओं ने अंकिता को न्याय दिलाने के साथ-साथ बालिकाओं, महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल पर जोर दिया.
उत्तरांचल प्रेस क्लब में संस्था के संवाद सत्र में महिला मुद्दों की विशेषज्ञ दीपा कौशलम ने कहा कि महिला हिंसा से जुड़ी हर घटना के बाद हम यह संकल्प तो लेते हैं कि फिर ऐसी कोई वारदात न हो, लेकिन कभी अंकिता, कभी निर्भया तो कभी अंशु नौटियाल के रूप में बार-बार होने वाली घटनाएं बताती हैं कि जमीनी स्तर पर अब भी बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है. अंकिता भंडारी के साथ हुई घटना ने पहाड़ की लाखों बेटियों के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. पढ़ लिखकर बड़े शहरों में नौकरी के लिए जा रही बेटियों की सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा.
उन्होंने कहा कि समाज में घटने वाली महिला हिंसा और अपराध की घटनाएं हमारे मूल्यों, समझ और धारणाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा देती हैं. लेकिन अंकिता के मामले में अपराधियों का राजनीतिक पृष्ठभूमि से होना एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा है. उसी राजनीतिक सत्ता का दुरुपयोग साक्ष्यों को मिटाने और न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने में किया गया है. मौके पर आशा डोभाल, नीना रावत, मुकुंद कृष्ण, सुशील कुमार त्यागी, पीसी नांगिया, मुकेश नारायण शर्मा, जितेंद्र ढंढोना, ओमवीर सिंह, राजीव पांथरी, रामकृष्ण मुखर्जी, उत्तम सिंह रावत, शिव प्रसाद जोशी, गणेश चंद्र उनियाल, सुभागा देवी, चंद्रभागा शुकला मौजदू थे.
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Harrison
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