उत्तराखंड
सचिवालय में IAS अधिकारी से भी मिले, 12वीं पास शातिर SC का जज बनकर करते थे ठगी
Gulabi Jagat
10 July 2022 1:02 PM GMT
x
देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पुलिस ने यूपी के नोएडा से दो शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है. दोनों ठग व्हाट्सअप पर राष्ट्रपति के साथ सुप्रीम कोर्ट के जज की डीपी लगाकर खुद को सुप्रीम कोर्ट का जज बता कर लोगों से धोखाधड़ी करते थे. आरोपियों ने देहरादून की करोड़ों की जमीन को खाली कराने के एवज में भी उत्तराखंड सचिवालय में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से भी मुलाकात की थी. इस दौरान एक आरोपी ने खुद को सुप्रीम कोर्ट का जज बताया था. पुलिस का कहना है कि आरोपियों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर को खंगाला जा रहा है. साथ ही आपराधिक इतिहास की जानकारी जुटाई जा रही है. दोनों आरोपियों के खिलाफ नई दिल्ली में कई मुकदमें दर्ज हैं. दोनों पहले कई बार जेल भी जा चुके हैं.
पढ़ें पूरा मामलाः 8 जुलाई को उपनिरीक्षक दिलबर सिंह नेगी एसटीएफ को सूचना मिली कि एक साइबर गिरोह जो सुप्रीम कोर्ट के जज की फोटो अपने व्हाट्सअप की डीपी पर लगाकर लोगों के काम करने के एवज में उनसे ठगी करता है. जगह-जगह लाखों रुपए लोगों से उनके काम करने के एवज में ले रहा है. इस पर थाना कोतवाली नगर देहरादून में मुकदमा पंजीकृत है. इसके बाद जांच की गई तो पता चला कि ऐसा एक गिरोह इन दिनों नोएडा और दिल्ली के आसपास सक्रिय है.
12वीं पास शातिर SC का जज बनकर करते थे ठगी.
IAS अधिकारी से की मुलाकातः जांच आगे बढ़ी तो पुलिस टीम को एक संदिग्ध मोबाइल नंबर की जानकारी मिली. नंबर मनोज कुमार नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड था. जांच में पता चला कि कुछ दिन पहले उक्त नंबर पर सुप्रीम कोर्ट के जज की डीपी लगा कर खुद को सुप्रीम कोर्ट का जज बताते हुए शासन में तैनात एक आईएएस अधिकारी से काम कराने के लिए फोन और मैसेज किया गया था. इसके साथ ही 6 जुलाई को उक्त व्यक्ति ने एक अन्य व्यक्ति व दो महिलाओं के साथ सचिवालय में तैनात आईएएस अधिकारी से से मुलाकात की की थी. नोएडा से दबोचाः संयुक्त टीम द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए नोएडा में स्थानीय मुखबिरों व अन्य माध्यमों से सेक्टर 50 महागुन मेपल सोसाइटी में दबिश दी गई. जहां पर मनोज कुमार और राजीव अरोड़ा को गिरफ्तार किया गया. दोनों व्यक्ति की तलाशी लेने पर उनसे प्राप्त मोबाइल फोन से कई मंत्रालयों के नंबर और कई वीआईपी के नंबर मिले. मोबाइल नंबर से शासन के आईएएस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के जज के नाम से मैसेज किए गए थे.
फर्जी कागजात से लोगों को भेजा विदेशः पूछताछ में मनोज कुमार और राजीव ने बताया कि दोनों 12वीं पास हैं और मोदी रबर लिमिटेड में 5 साल तक क्वालिटी कंट्रोल के रूप में नौकरी की. लेकिन पर्याप्त रुपए ना मिलने के कारण लोगों को विदेश भेजने के नाम पर पासपोर्ट व वीजा का कार्य भी किया और एंबेसी में कई लोगों को विदेश भेजने के लिए फर्जी कागजात तैयार कर उन्हें विदेश भी भेजा. लेकिन बाद में एंबेसी ने प्रकरण का संज्ञान लेकर चाणक्यपुरी थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया. उसके बाद एंबेसी में वीजा लगाने के लिए फर्जी कागजात इस्तेमाल करने के आरोप में कई और मुकदमें भी दर्ज हुए और अपराधों में कई बार जेल भी गए.
3 साल जेल में काटी सजाः आरोपियों ने बताया कि साल 2015 के आसपास पुरवाई पान मसाला प्राइवेट लिमिटेड और पूर्वी प्रोडक्शन के नाम से कंपनियां खोली और दोनों कंपनियों में व्यवसाय प्रारंभ किया. लेकिन वर्ष 2017 में आयकर विभाग द्वारा सेंट्रल एक्साइज टैक्स ना देने के जुर्म में करीब 265 करोड़ रुपए टैक्स चोरी और पेनाल्टी सहित कुल 850 करोड़ रुपए का टैक्स लगा दिया. टैक्स ना भरने के कारण जेल जाना पड़ा और 2017 से साल 2020 तक मेरठ जेल में बंद रहे.
ट्रू कॉलर में जज का नाम सेव कियाः आरोपियों ने बताया कि जेल से छूटने के बाद दोनों ने भारत सरकार के मंत्रियों और जजों के नाम पर लोगों को ठगने और आम लोगों का काम कराने के एवज में पैसा लेना शुरू किया. इसी दौरान उनकी मुलाकात गीता नाम की महिला से हुई. गीता ने बताया कि देहरादून में उनका एक क्लाइंट है. जिसकी जमीन कब्जाधारियों से खाली करानी है. अगर देहरादून में उसका काम हो जाए तो वह पचास लाख रुपए तक दे सकती है. पचास लाख रुपए के लालच में आकर एक नया सिम कार्ड लिया और अपने साथी राजीव अरोड़ा के साथ मिलकर सिम कार्ड को ट्रू कॉलर में सुप्रीम कोर्ट के जज के नाम से फीड किया. उसके बाद देहरादून पहुंचे और एक जुलाई से 6 जुलाई तक देहरादून में ही रुके. सचिवालय में अधिकारी से मुलाकातः इस दौरान आरोपियों ने की मुलाकात दो व्यक्तियों से हुई, जिनकी देहरादून में करोड़ों रुपए की जमीन थी. आरोपियों ने दोनों लोगों को बताया कि इस काम के उनकी मुलाकात उत्तराखंड शासन में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से करवाएंगे. इसके बाद आरोपियों ने ट्रू कॉलर में फीड किए गए फर्जी नंबर से उत्तराखंड सचिवालय में तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को मैसेज किया और खुद को सुप्रीम कोर्ट का जज बताकर उनसे टाइम लेकर व्यक्तियों के साथ उनसे मिलने सचिवालय देहरादून गए. एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी ने बताया कि दोनों आरोपियों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर को चेक करते हुए आपराधिक इतिहास की जानकारी जुटाई जा रही है. मनोज कुमार के खिलाफ नई दिल्ली में 8 मुकदमें और राजीव अरोड़ा के खिलाफ 4 मुकदमें पंजीकृत हैं.
Gulabi Jagat
Next Story